मिसरिया टोल के नववधू को पैदल हीं आना पड़ता है ससुराल
चोरौत प्रखंड की भंटाबारी पंचायत के मिसरिया टोल के निवासियों की ¨जदगी चचरी के सहारे कट रही है।
सीतामढ़ी। चोरौत प्रखंड की भंटाबारी पंचायत के मिसरिया टोल के निवासियों की ¨जदगी चचरी के सहारे कट रही है। गांव के निकट मरहा नदी पर पुल नहीं होने का खामियाजा इस गांव के लोग भुगत रहे हैं। स्थिति यह है कि गांव में लड़के-लड़की की शादी में पड़ोसी गांव में ही वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। गांव से पैदल जाकर वहां से गाड़ी में सवार हो गंतव्य की ओर जाते हैं। शादी की बाद नववधू को भी पैदल चलकर ही अपने ससुराल पहुंचना पड़ता है। इसी हालात से गुजरना पड़ता है शादी के बाद गांव से विदा होने वाली बेटियों को भी । जनप्रतिनिधि हो या प्रशासनिक अधिकारी इस इलाके के लोगों की समस्या के निदान के प्रति उदासीन बने रहे। समय-समय पर ग्रामीण मिसरिया टोल के निकट बह रही मरहा नदी पर पुल बनाने की मांग भी करते रहे। लेकिन, उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है। इस गांव के पश्चिम होकर बह रही मरहा हरदी पार कर ही लोग कहीं बाहर जा सकते हैं। जनप्रतिनिधियों व शासन-प्रशासन की उदासीनता से आजिज गांव के लोग चंदा जमाकर बांस की चचरी पुल बनाते हैं और उसी के सहारे गांव के लोग आवागमन करते हैं। ग्रामीणों के सहयोग से बनाई गई चचरी भी जर्जर स्थिति में है। नदी में जल स्तर बढने से चचरी पर खतरा मंडराने लगता है। नदी में उफान आने पर चचरी पुल ध्वस्त हो जाती है। ग्रामीण फिर चंदा इकठ्ठा कर पुल बनाते हैं। पुल बह जाने पर बच्चों का विद्यालय से नाता भी टूट जाता है। वैसी स्थिति में प्रशासन द्वारा नाव की सुविधा दी जाती है। इस गांव में अधिकांश लोग बीन समाज के हैं।लोगों की आजीविका का साधन मछली पालन से जुड़ा है। वार्ड सदस्य सीताराम मुखिया कहते हैं कि यहां आज तक विकास की किरण नहीं पहुंची है। चचरी के सहारे ही यहां के लोगों का आवागमन होता है। शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। ग्रामीण सोनेलाल मुखिया बताते हैं कि घुघला से मिसरिया टोल वाली कच्ची सड़क पर पुल हो जाने से पचास फीसद समस्या का समाधान हो जाएगा। विलास मुखिया, सर्वजीत मुखिया, रामलखन मुखिया, सुम्हा देवी, मनतोरिया देवी, मरनी देवी ने कहा कि विवाह में कितना भी खर्च कर दें, लेकिन वर-वधु को आधा किलोमीटर पैदल चल कर आना पड़ता है। नेता वोट के समय गांव में आकर समाधान की बात करने लगते हैं, लेकिन बाद में कुछ याद नहीं रहता है। आज तक गांव में सड़क व पुल न होना दुखद है।