आज जनकपुरधाम से विदा होंगी जगत जननी माता जानकी
सीतामढ़ी। नेपाल की धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी जनकपुर स्थित नौलखा मंदिर में सोमवार की रात मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाहोत्सव हुआ। इस दौरान परम्परागत तरीके से पूरे विधि-विधान के साथ शादी की रस्म हुई।
सीतामढ़ी। नेपाल की धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी जनकपुर स्थित नौलखा मंदिर में सोमवार की रात मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाहोत्सव हुआ। इस दौरान परम्परागत तरीके से पूरे विधि-विधान के साथ शादी की रस्म हुई। वहीं मंगलवार को राम कलेवा का आयोजन किया गया। अयोध्या से आई बरात में साधु-संत और श्रद्धालुओं को 56 प्रकार के व्यंजनों वाला भोजन कराया गया। देर शाम मंदिर परिसर में दर्जनों गरीब बेटियों की शादी की गई। मणि मंडल नामक संगठन की ओर से आयोजित सामूहिक विवाह में 40 गरीब बेटियों ने राम-जानकी को साक्षी मान कर सातों जनम तक साथ निभाने का वचन लिया। अब मंगलवार की सुबह माता जानकी की विदाई की रस्म होगी। मंदिर परिसर से बरातियों को विदा किया जाएगा। मंगलवार को जनकपुर से बराती वर्दीवास, वीरगंज, रक्सौल होते हुए मोतिहारी पहुंचेंगे। वहीं अगले दिन चार दिसंबर को मोतिहारी से गोपालगंज, कुशीनगर और गोरखपुर के रास्ते बरात अयोध्या वापिस लौटेगी। बताते चलें कि 21 नवंबर को अयोध्या से जनकपुर के लिए बरात रवाना हुई थी। अयोध्या से निकली यह राम बारात यूपी के अंबेडकरनगर, आजमगढ़ के रास्ते बिहार के बक्सर और मुजफ्फरपुर होते हुए 24 नवंबर को सीतामढ़ी पहुंची थी। 25 नवंबर को बरात सीतामढ़ी से बाजपट्टी और पुपरी के रास्ते अहिल्यास्थान, 26 नवंबर को दरभंगा से गलनाधाम होते हुए बासोपट्टी पहुंची थी। 27 नवंबर को बासोपट्टी से बिसौल फुलहर मधवापुर होते हुए नेपाल के मटिहानी में पहुंची थी। 29 नवंबर को भगवान श्रीराम का दशरथ मंदिर प्रांगण में तिलकोत्सव का आयोजन किया गया। 30 नवंबर को कन्या पूजन के अलावा मटकोर और एक दिसंबर को रामलीला का मंचन धनुष यज्ञ हुआ। देर रात भगवान श्रीराम व माता जानकी का विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ। सोमवार को राम कलेवा का आयोजन किया गया। साथ ही गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कराया गया। विश्व हिदू परिषद मुख्यालय कारसेवकपुरम से धर्मयात्रा महासंघ के संयोजन में अयोध्या से पहुंची बरात में अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास दशरथ, महंत वैष्णो दास महर्षि वशिष्ठ, हरिद्वार सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर के महंत डॉ. वैष्णोदास महर्षि विश्वामित्र की भूमिका में, रामायणी महंत राम अवतार दास के नेतृत्व दो रथ और दर्जनों वाहन के 30 मुख्य संत और 100 अन्य संत बरात में शामिल थे।