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मानव और प्रकृति के बीच पुन: स्थापित करना होगा सामंजस्य

शहर स्थित एसआरके गोयनका कालेज मैदान में हो रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी कि शिष्या भागवताचार्य महामनस्वीनि विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने भगवान की अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से अवगत कराया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 12:30 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:09 AM (IST)
मानव और प्रकृति के बीच पुन: स्थापित करना होगा सामंजस्य
मानव और प्रकृति के बीच पुन: स्थापित करना होगा सामंजस्य

सीतामढ़ी। शहर स्थित एसआरके गोयनका कालेज मैदान में हो रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी कि शिष्या भागवताचार्य महामनस्वीनि विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने भगवान की अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से अवगत कराया। कहा कि परीक्षित श्राप और पांडवों व विदुर जी के जीवन में होने वाली श्री कृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। इसी तथ्य का विस्तार उन्होंने सती के पुनर्जन्म यानि माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के मध्य चली। दिव्य वार्ता गुरु गीता के माध्यम से किया भगवान शिव कहते हैं। शिव पूजारतो वापि विषणउपूजारतो थवा, गुरूतत्वविहीनश्चेतत्सर्व व्यर्थमेव हि। अर्थात चाहे शिव जी की पूजा में रत हों या भगवान विष्णु की पूजा में रत हों लेकिन यदि गुरु तत्व के ज्ञान से रहित हो तो वह सब व्यर्थ है। साध्वी सुश्री आस्था भारती जी ने कहा कि अगर आप भी उस परमात्मा को जानने की जिज्ञासा रखते हैं तो आपको भी ऐसे ही मार्गदर्शक गुरु चाहिए। यह सर्वविदित है कि सूर्य प्रकाशमय तत्व है और चंद्रमा भी प्रकाशमय है। लेकिन चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं है जब सूर्य प्रकाशित होता है, तब उसी के प्रकाश से चंद्रमा आलोकित होता है और वही ताप शीतल होकर हम सब को शीतलता प्रदान करता है। ऐसे ही गुरु भी सुर्य के समान है तथा चंद्रमा एक शिष्य के समान। गुरु रूपी सूर्य के प्रकाश में तपकर ही शिष्य दुनिया को शीतलता प्रदान करने वाला ज्ञान आगे फैलाता है। द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्य देव की उपासना कर अक्षय पात्र की प्राप्ति की। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। बदले में प्रकृति ने मानव का रक्षन किया। लेकिन आज विकास की अंधी दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के फल स्वरुप धरा, समस्त नदियां विनाश के कगार पर आ खड़ी है।इस बढ़ते प्राकृतिक असंतुलन को नियंत्रित करने व मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य पुन: स्थापित कर पर्यावरण के संवर्धन के लिए संस्थान द्वारा संरक्षण कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है इसके तहत विभिन्न परियोजनाएं लागू की गई है। पिथौरागढ़ के पहाड़ी इलाके में वाटर एंड लाइफ परियोजना, स्वच्छता एवं पौधारोपण अभियान, झीलों और नदियों की सफाई का अभियान, जल व ऊर्जा संरक्षण, तुलसी रोपण, अभियान शामिल है। उन्होंने बिहार के पारंपरिक एवं अति पवित्र पर्व छठ पूजा के आध्यात्मिक रहस्यों को न केवल समझाया बल्कि छठ पूजा के अलौकिक गीत को कथा मंच से गुनगुनाते हुए मानव और प्रकृति के बीच पुन: सामंजस्य स्थापित करने की बात की। मौके पर जिप अध्यक्ष उमा देवी, सूर्यकांत प्रसाद, सोनबरसा के पूर्व प्रमुख संजय कुमार महतो, वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर झा, व्यवसायी मदन प्रसाद भगत,

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रास नारायण प्रसाद, प्रो.पशुपतिनाथ गुप्ता, पूर्व विधायक राम जीवन प्रसाद, गोयनका कालेज के प्राचार्य डॉ. आरएन.पंडित व प्राध्यापक डॉ.हसन मुस्तफा सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।


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