शिक्षा के प्रति समर्पण को लेकर सम्मानित हो चुके हैं हरिहर साह
शिक्षा के प्रति समर्पण को लेकर शहर स्थित मथुरा उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक हरिहर साह को राजकीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
सीतामढ़ी। शिक्षा के प्रति समर्पण को लेकर शहर स्थित मथुरा उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक हरिहर साह को राजकीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2016 में सरकार ने उन्हें उनकी समर्पण का इनाम प्रदान किया था। पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें प्रशस्ति पत्र, नगदी व शॉल प्रदान कर सम्मानित किया था। हरिहर साह बच्चों को शिक्षा प्रदान कर शिक्षित समाज की स्थापना करने के अभियान में लगे हुए है। यहीं वजह है कि वह इलाके में नजीर बन गए है। सामान्य परिवार से आते हैं हरिहर साह
सीतामढ़ी : सामान्य परिवार में जन्मे हरिहर साह का जन्म परिहार प्रखंड के सुतिहारा गांव में जानकी साह के पुत्र के रूप में हुआ। मां राम जसी देवी और पिता जानकी साह ने अपने दोनों पुत्रों को उच्च शिक्षा दी ।श्री साह जहां वर्तमान में नगर स्थित मथुरा उच्च विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं वही छोटा पुत्र लक्ष्मण साह भारतीय सेना में इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त है। हरिहर साह का जन्म 19 सितंबर 1958 में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही श्री तिलक मध्य विद्यालय सुतिहारा एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा श्री गांधी उच्च विद्यालय परिहार में हुई ।बचपन से ही श्री साह कुशाग्र बुद्धि थे एवं कक्षा में सदैव प्रथम रहे। इन्होंने एमएससी मैथ मिथिला यूनिवर्सिटी तथा बीएड बिहार यूनिवर्सिटी से किया। इन्होंने शैक्षणिक एवं प्रशासनिक कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए एवं उनके बेहतर कार्य एवं सेवा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया। इनकी रचना सप्त आभा पुस्तक सहित भारत माता शक्ति, कर्म ही जीवन एवं महाभारत का महापात्र युधिष्ठिर कविताएं लिखी। हरिहर साह का भरा पूरा परिवार है। बड़े पुत्र राजेश की बाइक दुर्घटना में मौत हो गई है। छोटा पुत्र डॉ राकेश फिजियोथेरेपिस्ट है। पुत्री प्रियंका रानी एमएससी माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई कर रही है। एक पुत्र राहुल फैशन टेक्नोलॉजी कर दिल्ली में पदस्थापित है। वहीं दूसरी पुत्री बीमा फिजिक्स ऑनर्स तथा सबसे छोटा पुत्र मैट्रिक की शिक्षा ग्रहण कर रहा है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं
सीतामढ़ी : गुरु की गरिमा विश्व के सभी धर्म ग्रंथो में अंकित है। गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलती। उनके शरण में ही देवत्व की प्राप्ति संभव है। ऋषि-मुनि और देवता भी गुरू के आशीर्वाद से ही जीवन के पथ पर आगे बढ़े। शिक्षक दिवस भारत में पूर्व राष्ट्रपति सह प्रख्यात शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन पर मनाने की परंपरा है। इस दिन सरकार, प्रशासन, सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं के साथ छात्र-छात्राएं भी शिक्षक के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करके उनके प्रति अपना श्रद्धा और विश्वास प्रदर्शित करते है। पेश है इस संबंध में शिक्षक और छात्रों से हुई बातचीत के अंश :- बिट्टू विश्वास, शिक्षक : शिक्षक दिवस पर हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन और उनके आदर्शों को याद करते हैं। उनके बताए रास्ते और आचरण को आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं। अनिल कुमार ठाकुर: शिक्षक समाज और परिवेश के पथ प्रदर्शक हैं। उनके सानिध्य में ही समाज का कल्याण और समृद्धि होता है। वे समाज में सदैव ही प्रतिष्ठा के प्रतिमूर्ति रहे हैं। शिक्षक के प्रति श्रद्धा रखने की जरूरत है। अभिमन्यु कुमार, छात्र : शिक्षक के प्रति श्रद्धा और प्रेम समाज का प्रथम दायित्व है। हमें इसका निर्वहन शिक्षक दिवस के अवसर पर आत्मियता के साथ करना चाहिए। बगैर गुरु के ज्ञान की प्राप्ति संभव नही है। अभय कुमार : शिक्षक की प्रसन्नता से ही ज्ञान का प्रभाव छात्रों में जाता है। जिससे छात्र स्वयं के साथ ही देश और परिवेश के समृद्धि में अपनी अहम भूमिका देने में सक्षम होते हैं। शिक्षक दिवस पर हमें अपने गुरु के सम्मान में श्रद्धा अर्पित करना चाहिए।