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सरकारी अनाज के उठाव और वितरण में गोलमाल

सीतामढ़ी। तमाम प्रशासनिक सख्ती के बावजूद एसएफसी में गोलमाल पर विराम नहीं लग रहा है। हाल के दिनों में एसएफसी में हर माह लगभग 68 लाख रुपये की हेराफेरी हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 10:41 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 06:36 AM (IST)
सरकारी अनाज के उठाव और वितरण में गोलमाल
सरकारी अनाज के उठाव और वितरण में गोलमाल

सीतामढ़ी। तमाम प्रशासनिक सख्ती के बावजूद एसएफसी में गोलमाल पर विराम नहीं लग रहा है। हाल के दिनों में एसएफसी में हर माह लगभग 68 लाख रुपये की हेराफेरी हो रही है। यह राशि घटतौली और ढुलाई खर्च के नाम पर वसूली जा रही है। माफियाओं के इस नए खेल में दोहन हो रहा है डीलरों का। जिले के डीलरों को प्रति क्विटल दो किलो कम अनाज दिया जा रहा है। जबकि, प्रति बोरा ढुलाई के नाम पर डीलरों से तीन रुपये वसूला जा रहा है। ढुलाई की राशि डोर स्टेप डिलेवरी के अभिकर्ता को देनी है। जिले को कुल 158 हजार क्विटल अनाज का आवंटन मिलता है। इनमें 96 हजार क्विटल चावल और 62 हजार क्विटल गेहूं शामिल है। इसके तहत अन्य प्रदेशों से 192000 बोरा चावल और 124000 बोरा गेहूं समेत कुल 316000 अनाज का बोरा आता है। जिसे गोदामों तक पहुंचाया जाता है। गोदाम से डीलरों को अनाज दिया जाता है। माफियाओं द्वारा प्रति प्रति क्विटल दो किलो कम अनाज डीलरों को दिया जाता है। इस मद में प्रति माह लगभग 50 लाख रुपये का अनाज डंडीमारी के जरिए बचाया जाता है। इसी तरह प्रति बोरा तीन रुपये की वसूली की जाती है। इस मद में लगभग 18 लाख रुपये की वसूली की जाती है। बताया जाता है कि इस धंधे में अनाज माफिया, संवेदक, एसएफसी के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। डीलरों द्वारा अपने साथ हो रहे दोहन की शिकायत उच्चाधिकारियों से बार-बार करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। इस मामले में जिप उपाध्यक्ष देवेंद्र साह ने डीएम से जांच कर कार्रवाई की मांग की है।

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