चार दशक बीत गए पर बनगांव राजकीय नलकूप से नहीं निकला पानी
करीब चार दशक बीत गए कई लोकसभा और विधानसभा के चुनाव का गवाह बना बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव गोट में स्थापित राजकीय नलकूप से एक बूंद पानी नहीं निकला।
सीतामढ़ी। करीब चार दशक बीत गए, कई लोकसभा और विधानसभा के चुनाव का गवाह बना बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव गोट में स्थापित राजकीय नलकूप से एक बूंद पानी नहीं निकला। सत्ता बदली, जनप्रतिनिधि बदले, लेकिन यह नलकूप ठूंठ बन कर रह गया। नलकूप के बंद रहने से किसान निजी व भाड़े के पंपसेट से सिचाई करने को मजबूर हैं, जो महंगा होने के कारण उन्हें आर्थिक चोट दे जाती है। वर्ष 1979-80 में स्थापना के बाद से ही किसान इस नलकूप के चालू होने की बाट जोह रहे हैं। लेकिन हर बार उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता रहा है। इस नलकूप में स्थापना के बाद से ही कुछ न कुछ खराबी आती रही है। किसान शिकायत करते रहे और अधिकारी-कर्मचारी कभी बिजली, कभी ट्रांसफॉर्मर, कभी मोटर की खराबी तो कभी पानी के साथ बालू निकलने का कारण बता उन्हें बरगलाते रहे। इस बीच उन्हें नलकूप चालू करने का आश्वासन दिया जाता रहा। नलकूप से सिचाई के लिए अब तक नाले का भी निर्माण नहीं हुआ है। स्थापना के समय संवेदक ने नाले के लिए कुछ दूर तक मिट्टी भरा कर छोड़ दिया। पर नाला नहीं बना। वर्ष 1995 में नई योजना के तहत ओवरहेड टंकी बनी और खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए जमीन के अंदर पाइप बिछा दी गई। लेकिन समय के साथ सभी संरचनाएं ध्वस्त हो गईं। बदले जनप्रतिनिध, बदली सरकारें पर नहीं बदली नलकूप की सूरत
किसानों को सदैव ही इसका दर्द है कि बीते करीब चार दशक में कई जनप्रतिनिधि बदले, कई सरकारें आई गई। लेकिन, गांव के एक मात्र सरकारी नलकूप की सूरत नहीं बदली है। वह आज भी ठप है। हालांकि इसके लिए कई बार विभिन्न योजनाओं से कभी नाला तो कभी विद्युत आपूर्ति सुचारू करने की कवायद की गई, लेकिन सभी केवल आस ही जगा पाया। खेतों की सिचाई कभी नहीं हो सकी। इस संबंध में युवा किसानों से हुई बातचीत के अंश: राजीव सिंह : स्थापना के बाद कुछ दिनों तक जांच के लिए नलकूप चलाया गया। किसानों ने नाला बनाकर अपने खेतों की सिचाई की थी। मगर बाद में नलकूप ही बंद हो गया। अमित कुमार : स्थापना काल से ही टालमटोल जारी है। जब किसी पदाधिकारी का आना होता है, तो वे शीघ्र सिचाई कराने शुरू कराने का आश्वासन देकर चले जाते हैं। आश्वासन कभी पूरा नहीं होता है। बलराम कुंवर : शुरूआत में कुछ दूरी तक नाला के लिए मिट्टी भरने का काम हुआ। काम के समय अधिकारी आते रहे लेकिन बाद में किसी का दर्शन नहीं हुआ। यह योजना सफेद हाथी साबित हो रहा है। अरविद सिंह : नाले के लिए वर्ष 1995 में पुन: कवायद शुरू हुई। ओवरहेड टंकी बनाकर खेतों के नीचे से पाइप बिछा दी गई। मगर स्थिति जस की तस है। कोट..
बनगांव गोट के नलकूप की स्थिति विभाग के संज्ञान में है। विभागीय निर्देश के आलोक सभी नलकुपों का संचालन, देखभाल व मरम्मत का कार्य पंचायतों को सौंपा जाना है। इसके तहत विभिन्न पंचायतों को इससे संबंधित आवंटन भेजा चुका है, वहीं शेष पंचायतों को भी यथाशीघ्र आवंटित राशि भेज दी जाएगी।
---रंजीतकांत गुप्ता, कार्यपालक अभियंता, लघु जल संसाधन विभाग, सीतामढ़ी।