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बकरीद का त्योहार आज, खुशियां मनाएं मगर न हाथ मिलाएं न गले मिलें

सीतामढ़ी। दुनिया की तारीख में अपने रब को राजी करने की अजिममुस्सान इस्लामी त्यौहार ईद उल अजहा की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 12:31 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:09 AM (IST)
बकरीद का त्योहार आज, खुशियां मनाएं मगर न हाथ मिलाएं न गले मिलें
बकरीद का त्योहार आज, खुशियां मनाएं मगर न हाथ मिलाएं न गले मिलें

सीतामढ़ी। दुनिया की तारीख में अपने रब को राजी करने की अजिममुस्सान इस्लामी त्यौहार ईद उल अजहा की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। यह त्योहार अपनी परंपरागत रवायत के साथ मनाया जाएगा। मदरसा रहमानिया मेहसौल के अध्यक्ष मो. अरमान अली ने बताया कि बकरीद की नमाज अल सुबह 5.35 से 6.30 बजे तक अपने-अपने घर पर अदा की जाएगी। कोरोना महामारी के चलते बकरीद की नमाज घरों पर ही पढ़कर एक-दूसरे पर खुशियां बांटने की अपील की है। लॉकडाउन के निर्देश का पालन और शारीरिक दूरी का ख्याल रखा जाना चाहिए। बकरों के दाम में गिरावट आई है। कुर्बानी के लिए जहां-तहां लगने वाला बकरा बाजार इस बार फीका-फीका रहा। काफी कम संख्या में बकरे कुर्बानी के लिए लाए गए थे। बकरा चार से पांच हजार रुपये तक बिके। बकरीबद की खरीदारी के लिए गुरुवार को दिनभर बाजारों में चहल-पहल रही।

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ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में

परिहार प्रखंड के जगदर पंचायत के महुआवा मदरसा के हाफिज कारी दानिश रजा ने कहा कि ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाई जाती है। हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हुए थे। बकरीद का पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धांत हज को भी मान्यता देता है। बकरीद के दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं। बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए। इस पर्व पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं। नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी की प्रक्रिया शुरू होती है। इसका वर्णन कुरान में स्पष्ट मिलता है। उसमें कहा गया हैं कि अल्लाह ने एक दिन हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी। हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। अल्लाह का हुकुम मानते हुए हजरत इब्राहिम जैसे ही अपने बेटे की गर्दन पर वार करने गए, अल्लाह ने उसे बचाकर एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। तभी से इस्लाम धर्म में बकरीद मनाने का प्रचलन शुरू हो गया।

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बकरीद का त्योहार त्याग व कुर्बानी का देता संदेश मदरसा रहमानिया मेहसौल के पूर्व प्राचार्य मौलाना अब्दुल वदुद ने कहा कि कल ईद-उल-अजहा का त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा। बकरीद में लोग नमाज के बाद कुर्बानी को अंजाम देते हैं। बकरीद के त्योहार में तीन दिन तक कुर्बानी देकर अल्लाह को याद करते हैं। उन्होंने मुस्लिम भाईयों से घर में रहकर त्योहार मनाने का अनुरोध किया है। पूर्व मंत्री शाहिद अली खान की पुत्री डॉ. इकरा अली खान ने बकरीद की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि त्योहार त्याग व कुर्बानी का संदेश देता है। ईद उल अजहा के दो संदेश हैं। पहला परिवार के बड़े सदस्य को स्वार्थ के परे देखना चाहिए और खुद को मानव उत्थान के लिए लगाना चाहिए। ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया। खुशियां बांटे मगर न गलें मिलें न हाथ मिलाएं

नूरी मं•िाल के प्रांगण में बखरी नौजवान कमिटी की बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता मोहम्मद अहमद एवं संचालन अब्दुल्लाह ने किया। बकरीद पर्व को देखते हुए कमिटी के अध्यक्ष मोहम्मद अहमद ने लोगों से अपील की कि कोरोना महामारी एवं लॉकडाउन को देखते हुए नमाज अपने घर पर ही अदा करें। लोगों से मिलने के दौरान शारीरिक दूरी बनाकर रखें। कमिटी के कोषाध्यक्ष अब्दुल्लाह ने बताया कि सभी भाई बकरीद की नमाज में कोरोना से निजात के लिए दुआ करें। साथ ही घर से निकलें तो मास्क अनिवार्य रूप से पहनकर निकलें। लोगों से न हाथ मिलाएं न गले मिलें। बखरी नौजवान कमिटी बखरी के सौजन्य से दुकानदारों एवं सैकड़ों ग्रामीणों को मास्क वितरण किया गया। मौके पर मो. सरफराज, मो. शकील, मो. एखलाक, अब्दुल राजिक, मो. फैयाज, मो. सहबाज, मो. समीउल्लाह मौजूद थे।


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