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देवराहा बाबा और अनगिनत संतों के पड़े जहां पांव हैं..

बाजपट्टी प्रखंड के वनगांव स्थित भगवान बोधायन मंदिर परिसर में विचार गोष्ठी सह कवि गोष्ठी आयोजित की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:43 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 11:43 PM (IST)
देवराहा बाबा और अनगिनत संतों के पड़े जहां पांव हैं..
देवराहा बाबा और अनगिनत संतों के पड़े जहां पांव हैं..

सीतामढ़ी। बाजपट्टी प्रखंड के वनगांव स्थित भगवान बोधायन मंदिर परिसर में विचार गोष्ठी सह कवि गोष्ठी आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता सेवानिवृत शिक्षक हरिश्चन्द्र कुंवर व संचालन सेवानिवृत रेलकर्मी सुनील कुमार झा ने किया। कवि सम्म्ेलन का आगाज राष्ट्रीय शिखर सम्मान से सम्मानित गीतकार गीतेश की रचना देवराहा बाबा और अनगिन संतो के पड़े जहां पांव है, सौभाग्य से वह पुण्यस्थली वनगांव है..से हुई। वनगांव की महिमा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि मुनियों ने किया जिनके गुणों का गायन है, इसी मिट्टी से जुड़े ये भगवान बोधायन हैं। युवा कवि कृष्णनंदन लक्ष्य की कविता आपकी भी क्षमता होगी निराली, पहले तो खुद को हवन कीजिए ने, महफिल को गति प्रदान की। सुनील कुमार झा की रचना वनग्राम बोधायन सर का वह इतिहास अमर है, जहां बोधायन का मंदिर है, ने छटा बिखेर दी। मौके पर बाजपट्टी विधायक डा रंजू गीता ने कहा कि इस स्थान का जो विकास अभी हुआ है वह पर्याप्त नहीं है, हम इसके विकास के के लिए प्रयत्नशील है। विधानपार्षद रामेश्वर कुमार महतो ने कहा कि पर्याप्त भूखंड पर बसा इस बोधायन सर पर विद्यपीठ की स्थापना के लिए वे प्रयत्नशील हैं। विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भगवान बोधायन बाल्यकाल से ही बहुमुखी आध्यात्मिक प्रतिभा के धनी थे। उनकी जन्मस्थली, कर्मभूमि, एवं तपोभूमि यह वनगांव हीं है। इस बात को इसी गांव के सार्वभौम स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज ने अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित संत व आध्यात्मिक चर्चा में सिद्व कर दिया है। भगवान बोधायन नें वेद वेदांत पर आधरित करीब सात लाख सूत्रों की रचना की, जिसका संकलनबोधसूत्र, ब्रह्मसूत्र, शुल्वसूत्र आदि ग्रंथो में किया गया है। आध्यात्मिक परिक्षेत्र में भगवान बोधायन प्रथम भाष्यकार थे। उन्होंने विभिन्न धर्मावलंबियों को अपने विचारों से प्रभावित किया था, इसलिए उन्हे अन्य उपाब्धियों के साथ भगवान की उपाधि भी दी गई थी। वक्ताओं में रामबाबू सिंह, राधेश्याम सिंह, शंकर झा, शत्रुध्न कुंवर, धीरेन्द्र कुंवर, सतीश कुंवर, रणवीर कुमार सिंह उर्फ मुन्ना, प्रमोद सिंह, मौजेलाल शर्मा प्रमुख थे। मौके पर महंत जर्नादन दास, श्यामबाबू सिंह, ताराकांत झा, दिलीप कुमार, सुधीर कुंवर समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।

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