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डॉटर्स डे हर क्षेत्र में कामयाबी का परचमत लहरा रही बेटियां

सीतामढ़ी। कहते है कि बेटा कुल का दीपक होता है लेकिन बेटियां तो दो कुल को रोशनी देती है। एक जहां वह जन्म लेती है और दूसरी जहां वह ब्याह कर जाती है। बदलते दौर में बेटियों ने समाज के हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहराया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 12:13 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 12:13 AM (IST)
डॉटर्स डे हर क्षेत्र में कामयाबी का परचमत लहरा रही बेटियां
डॉटर्स डे हर क्षेत्र में कामयाबी का परचमत लहरा रही बेटियां

सीतामढ़ी। कहते है कि बेटा कुल का दीपक होता है, लेकिन बेटियां तो दो कुल को रोशनी देती है। एक जहां वह जन्म लेती है और दूसरी जहां वह ब्याह कर जाती है। बदलते दौर में बेटियों ने समाज के हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहराया है। अधिकारी, कर्मचारी, सिपाही, डॉक्टर, इंजीनियर और खिलाड़ी बन कर बेटियां जहां देश की सेवा कर रही है, वहीं घ्र-परिवार की जिम्मेदारी का भी निर्वहन कर रही है। शायद यही वजह हैं कि लोग कहते है -जिनको है बेटियां वो ये कहते है परियों के देश में वो तो रहते है, घर को जन्नत का नाम देते है।

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पहले खिलाड़ी अब खिलाड़ियों को तराश रही मेनका

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड के रामपुर परोड़ी नामक एक छोटे से गांव में गरीबी के बीच पली-बढ़ी मेनका ने कबड्डी के जरिए अपनी किस्मत संवारी। राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली व दर्जनों अवार्ड से पुरस्कृत मेनका अब गरीब व मेधावी बेटियों को कबड्डी के टिप्स दे रही है। सरकारी स्तर पर कमला ग‌र्ल्स स्कूल में संचालित एकलव्य संस्थान में ट्रेनर के पद पर तैनात मेनका जहां बालिकाओं को कबड्डी का प्रशिक्षण दे रही है, वहीं घर और ससुराल की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है। मेनका कबड्डी के प्रति समर्पित है। यहीं वजह है कि शादी के महज तीन दिन बाद ही वह ससुराल से अपने सेंटर एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र पहुंच गई। मकसद था सीतामढ़ी की बेटियों को मेडल दिलाना। जिसमें वह सफल भी रही। मेनका की शादी बाजपट्टी के अरूण कुमार गुप्ता के साथ हुई। मेनका के निर्देशन में प्रियंका व श्वेता स्वराज नामक दो खिलाड़ियों का चयन नेशनल टीम के लिए हुआ है। मेनका के लिए कबड्डी तो दूर पढ़ाई की राह भी आसान नहीं थी। पिता प्रमोद साह साधारण किसान है। मेनका समेत छह भाई-बहनों की परवरिश जैसे-तैसे हो रही थी। अभावग्रस्तता के बीच मेनका ने कमला ग‌र्ल्स स्कूल से मैट्रिक पास की। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही जिला कबड्डी संघ के सचिव पंकज सिंह ने उसे कबड्डी टीम में शामिल किया। देखते ही देखते वह कबड्डी की जिला चैम्पियन बन गई। वर्ष 2009 में उसने स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वर्ष 2010 में जम्मू-कश्मीर में नेशनल टीम का। वह नौ बार नेशनल व एक दर्जन से अधिक बार स्टेट लेबल टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। अब वह कमला ग‌र्ल्स स्कूल स्थित एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनर के पद पर तैनात है। मेनका के अनुसार समाज में बेटियों के प्रति बदलाव आया है। हालांकि अब भी बदलाव की दरकार है। ताकि बेटियां भी खुल कर जी सके।

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खेलो इंडिया के लिए चुनी गई प्रियंका

सीतामढ़ी: अपनी प्रतिभा के बल पर सीतामढ़ी की एक बेटी प्रियंका ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में चयनित होकर जिले को गौरवान्वित किया है। प्रियंका कुमारी खेलो इंडिया के तहत जनवरी 2020 में असम के गुवाहाटी में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेंगी। केंद्र सरकार द्वारा उक्त प्रतियोगिता के लिए बिहार के अलग-अलग खेलों की 12 खिलाड़ियों का चयन किया गया है। इनमें प्रियंका कुमारी भी शामिल हैं। प्रियंका जनवरी 2020 में गुवाहाटी में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में कबड्डी के क्षेत्र में दमखम दिखाएंगी। बेहद गरीब परिवार से आने वाली डुमरा प्रखंड के हरिछपरा गांव निवासी प्रियंका अब तक कई बार नेशनल आऔर स्टेट लेबल प्रतियोगिता में जिले का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। उसके पिता राजेश राम दिल्ली में मजदूरी करते हैं। मां गृहिणी हैे। तीन भाई और दो बहनों में दूसरे नंबर पर आने वाली प्रियंका ने गरीबी से जूझ कर शिक्षा हासिल की है। अब वह कबड्डी के क्षेत्र में रॉल मॉडल बन गई है।

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बेटियों में बसा है संसार

सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय डुमरा के अमघट्टा निवासी मनीष कुमार और नीतू रानी को दो बेटियां है। इस दंपती का पूरा संसार और खुशियों बेटियों में ही बस कर रह गया है। 24 साल पूर्व मनीष और नीतू की शादी हुई थी। मनीष शहर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में मुख्य लेखापाल है। जबकि नीतू अमघट्टा में प्रेयसी कला सेंटर खोल कर सिलाई, कटाई और पेंटिग आदि का प्रशिक्षण दे रही है। इन्हे दो पुत्री प्रियसी और उत्पला है। प्रियसी पटना के वीमेंस कॉलेज में बीसीए तृतीय वर्ष की छात्रा है जब उत्पला बीपीटी कर रही है। इस दंपती ने बेटियों को पूरा स्नेह, सहयोग और समर्थन दिया है। मनीष और नीतू बताती है कि बेटा-बेटी एक समान है। उन्हें कभी भी यह नहीं खला कि बेटा नहीं है। बताते हैं कि कभी भी बेटे की चाहत भी नहीं रही।

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सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रही है बेटियां

सीतामढ़ी : एक वह भी दौर था जब सातवीं-आठवी कक्षा के बाद बेटियों की पढ़ाई बंद हो जाती थी, लेकिन मुख्यमंत्री साइकिल योजना की शुरूआत के बाद बेटियों को मानों पंख लग गए। हालत यह कि न केवल मैट्रिक बल्कि गांव की बेटियां भी उच्च शिक्षा हासिल कर रही है। सरकारी स्तर पर बेटियों को किताब, साइकिल, परिधान, नेपकीन मिल रही है। मैट्रिक, इंटर और स्नातक में छात्रवृत्ति मिल रही है। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बच्ची की जन्म के साथ ही सरकार राशि दे रही है। अभिवंचित वर्ग की गरीब बालिकाओं के लिए कस्तुरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की स्थापना की गई है। बालिकाओं के कबड्डी के प्रशिक्षण के लिए कमला ग‌र्ल्स स्कूल में एकलव्य संस्थान संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा समय-समय पर बालिकाओं के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही है। हाल ही में जिले में कार्यपालक सहायक के पद पर हुई नियुक्ति में युवतियों को प्राथमिकता दी गई है। सरकार द्वारा जीविका के जरिए हजारों युवती को आत्म निर्भर बनाया गया है। साथ ही कौशल युवा कार्यक्रम के तहत युवतियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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थानों में प्रबंधक बन कर सेवा कर रही बेटियां

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी एसपी अनिल कुमर ने हाल ही में बेटियों को प्रोत्साहित करने की पहल के तहत कई थानों में महिला आरक्षियों को थाना मैनेजर के पद पर तैनात किया है। इनमें डुमरा थाने में तैनात शिल्पी कुमारी भी शामिल है। इंटर की शिक्षा हासिल कर डुमरा थाने में प्रबंधक के पद पर तैनात शिल्पी मूल रूप से गोपालगंज जिले के पुलिस लाईन बंजारी वार्ड 13 की रहने वाली है। केंद्रीय विद्यालय थावे से मैट्रिक और इंपेरियल पब्लिक स्कूल हथुआ से इंटर करने के बाद शिल्पी का चयन आरक्षी के पद पर हुआ। इसके बाद उसकी तैनाती सीतामढ़ी जिले में हुई। वह थाना प्रबंधक का काम करते हुए इग्नू से स्नातक कर रही है। उसके पिता ब्रजेश नाथ पॉल सीआइएसएफ में सब इंस्पेक्टर हैं। बड़ा भाई रवि कुमार आरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हो चुका है। शिल्पी बबताती हैं कि बेटियों को भी कलम और किताब पकड़वाने की जरूरत है। बेटियां शिक्षित होगी तो पूरा परिवार शिक्षित होगा। इसका असर गांव और समाज पर पड़ेगा, अन्य लोग भी बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे। शिल्पी का कहना हैं कि बेटियां पढ़ेगी, तभी आगे बढ़ेगी।


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