सिधेश्वरनाथ महादेव मंदिर की महिमा अपरंपार, सालोभर आस्था का सैलाब
सीतामढ़ी। बथनाहा प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूर अवस्थित सिधेश्वर स्थान है। ऐसे तो साल
सीतामढ़ी। बथनाहा प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूर अवस्थित सिधेश्वर स्थान है। ऐसे तो सालोंभर श्रद्धालु जलाभिषेक करने व अन्य यज्ञ प्रयोजन के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं। लेकिन, सावन मास में और महा शिवरात्रि के अवसर पर महात्म्य और बढ़ जाता है। लोगों का कहना है कि यहां जलाभिषेक करने करने वालों की हर मुराद पूरी होती है। पड़ोसी देश नेपाल से निकली नदियों का एवं सिमरिया घाट से गंगाजल भरकर कांवरिया व श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करते हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार उर्फ बाबा के अनुसार, यहां स्थापित शिवलिग त्रेतायुग में श्रीगिरिषी द्वारा स्थापित किया गया है। इस स्थान पर एक विशेषता आज भी है। जो श्रद्धालु इस मंदिर परिसर में लगी ईंट के चूर्ण को घिसकर लेप लगाते हैं उन्हें कई प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर नेपाल से निकली अधवारा समूह की नदी यमुरा नदी के तट पर अवस्थित है। एक बार नदी में आई बाढ़ की विभीषिका से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया था। उसके बाद आई महामारी से दर्जनों लोगों की असमय मृत्यु हो रही थी। उस समय मंदिर परिसर में महारुद्र यज्ञ का आयोजन किया गया था। जिसके कारण बाढ़ की विभीषिका के साथ ही लोगों को महामारी से मुक्ति मिली थी। आज भी नदी मंदिर से कुछ दूरी पर अवस्थित है। तब से मंदिर की महत्ता को लोग आज भी गुणगान करते हैं।
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प्रखंड के सिघरहिया गांव में स्थित सिधेश्वरनाथ महादेव मंदिर में महा शिवरात्रि, शिवपंचमी व सावन मास में श्रद्धा और आस्था का अछ्वुत नजारा देखने को मिलता है। इस अवसर पर पूरा इलाका हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजने लगता है।
पंडित योग नारायण झा। --------------------------
यह कई शिवलिग अछ्वुत व प्राचीन काल से है। यहां श्रृंगी ऋषि का आश्रम था जिसके कई प्रमाण इसके आसपास खुदाई करने पर मिले हैं। उन्होंने बताया कि इसलिए ही इस गांव का नाम सिघरहिया पड़ा है।
पंडित अरुण कुमार झा।