मात्र तीन कमरे के कारण दो शिफ्टो हो रहा विद्यालय का संचालन
शेखपुरा। शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पचना मध्य में जगह के अभाव में कई वर्षो स
शेखपुरा। शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पचना मध्य में जगह के अभाव में कई वर्षो से दो पाली में बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था चल रही है। इसके बावजूद अब तक शिक्षा विभाग नए कमरे नहीं बनवा सकी है जिससे विद्यालय का संचालन एक पाली में हो सके। पचना मध्य विद्यालय में बस तीन कमरे हैं। स्कूल में छात्रों की संख्या 787 है। इन बच्चों के लिए एचएम समेत 12 शिक्षक हैं और बच्चों की पढ़ाई दो पाली में होती है।
विद्यालय की पहली पाली सुबह 6.30 बजे से : पहली पाली सुबह के 6 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 11.30 बजे तक चलती है। इस अवधि में क्लास 1 से 5 तक के 310 छात्रों की पढ़ाई महज 3 कमरे में होती है। इन कक्षाओं के लिए पांच शिक्षक लगाए गए हैं।
विद्यालय की दूसरी पाली 11.30 बजे से :
दूसरी पाली 11.30 बजे से शुरू होकर शाम के 4 बजे तक चलती है। इस अवधि में क्लास 6 से 8 तक के 477 छात्रों की पढ़ाई उसी तीन कमरे में होती है। इन कक्षाओं के लिए 6 शिक्षक लगाए गए हैं।
मेन रोड के किनारे है स्कूल, अक्सर हादसे के शिकार होते हैं बच्चे : शेखपुरा-लखीसराय मुख्य सड़क पर होने के कारण विद्यालय में छुट्टी होने पर बच्चों के सड़क पार करने के दौरान अक्सर दुर्घटना होने का भय बना रहता है। दूसरी पाली के छात्र भी विद्यालय के अंदर आने के इंतजार में सड़क पर ही विद्यालय के बाहर खड़े रहते हैं। जब पहली पाली के छात्र बाहर निकलते हैं तब वे विद्यालय के अंदर प्रवेश करते हैं। इसके बावजूद पथ निर्माण विभाग द्वारा विद्यालय के सामने सड़क पर कोई ब्रेकर नहीं दिया गया है।
आसपास के प्राइवेट स्कूलों में लेनी पड़ती है स्कूल की आंतरिक परीक्षा : विद्यालय के एचएम सज्जन कुमार ने बताया कि नए वर्ग कक्ष निर्माण के लिए कई बार विभाग को सूचित किया गया। मेरे पहले के एचएम भी विभाग को बता चुके हैं। लेकिन जमीन के अभाव में यहां और कमरों का निर्माण सम्भव नहीं है। विद्यालय जिस जमीन पर बना हुआ है, उस जमीन का कोई भी दस्तावेज विद्यालय या विभाग के पास नहीं है। विद्यालय की जमीन का खसरा नंबर 2263 है। यह विद्यालय भवन 2815 वर्ग फीट में कई वर्षो से बना हुआ है। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना परीक्षा के वक्त करना पड़ता है। एक शिफ्ट में परीक्षा लेने के लिए जब जगह की कमी हो जाती है तब आसपास के प्राइवेट विद्यालयों का सहारा लेना पड़ता है।
आज तक राज्यपाल के नाम नहीं हो सकी जमीन की रजिस्ट्री : जिला शिक्षा पदाधिकारी नन्द किशोर राम ने बताया कि बहुत पहले किसी दाता ने विद्यालय के लिए जमीन दी थी जिस पर यह भवन बना हुआ है। लेकिन आज तक इसकी राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री नहीं हो सकी। इसी कारण पुराने भवन को तोड़कर फिर से विद्यालय का आलीशान भवन बनाना सम्भव नहीं हो रहा है। वहीं, विद्यालय के लिए वहां दूसरी जमीन मिल नहीं रही है। स्कूल की जमीन विवादित है। जमीन मालिक विद्यालय की जमीन वापस चाह रहे हैं और इसके बदले में कहीं दूर जमीन देना चाहते हैं।
बेकार पड़े पहाड़ी भूखंड पर बने नया विद्यालय भवन : पचना गांव के ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के अफसरों में इच्छाशक्ति का अभाव है। अगर अफसर चाहे तो बेकार पड़े पहाड़ी भूखण्डों पर भी खनन विभाग से एनओसी लेकर विद्यालय का भवन बनवाया जा सकता है।