समीक्षा के दौरान आंकड़ों में उलझी एक दिन की कार्यशाला
आकांक्षी जिला योजना के काम-काज की समीक्षा के लिए बुधवार को शेखपुरा में यूनिसेफ की तरफ से बैठक आयोजित की गई। कलेक्ट्रेट के मंथन सभागार में आयोजित इस समीक्षा तथा कार्यशाला में यूनिसेफ के अलावे शिक्षा स्वास्थ्य बाल विकास के अधिकारी भी शामिल हुए।
शेखपुरा । आकांक्षी जिला योजना के काम-काज की समीक्षा के लिए बुधवार को शेखपुरा में यूनिसेफ की तरफ से बैठक आयोजित की गई। कलेक्ट्रेट के मंथन सभागार में आयोजित इस समीक्षा तथा कार्यशाला में यूनिसेफ के अलावे शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास के अधिकारी भी शामिल हुए।
बैठक में बताया गया कि देशभर के जिन 117 पिछड़े जिलों को सूचीबद्ध करके सरकार ने वहां आकांक्षी जिला योजना शुरू की है। उसमें शेखपुरा भी शामिल है। इसी को लेकर जिलों में कई तरह के काम शुरू किये गए हैं। इन कार्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण तथा शुद्ध पेयजल को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। स्वास्थ्य तथा पोषण के मामले में नवजात से लेकर पांच साल तक के बच्चों के पोषण, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। कार्यशाला में समीक्षा के दौरान विकास के विभिन्न सूचनांक के आधार पर संग्रहित आंकड़े भी दिखाये गये। बाद में विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी विमर्श में विचारों की मत-भिन्नता सतह पर आ गई। असल में यह भिन्नता विकास के आंकड़ों को लेकर विभिन्न एजेंसियों के अलग-अलग आंकड़ों की वजह से सतह पर आयी। गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर विभिन्न एजेंसियों द्वारा अपने-अपने स्तर से अलग-अलग आंकड़ा देने से यह भ्रम तथा विवाद पैदा हुआ। कार्यशाला में डीपीएम ने कहा कि ब्लॉक स्तर से जो आंकड़े जिला में आते हैं वही जिला प्रशासन को दिया जाता है। बाद में जिला प्रशासन अपने स्तर से उन रिपोर्ट को पटना भेजा जाता है। इधर, स्वास्थ्य एवं पोषण को लेकर चल रहे कार्यक्रम की मॉनिटरिग करने वाली कई एजेंसियां भी अपने स्तर से रिपोर्ट तैयार करके वह सीधे राज्य मुख्यालय को भेजती है।