महिलाओं की जो सुने आवाज, हम चुनेंगे ऐसी सरकार
शेखपुरा। महिलाओं की समस्याओं को सदन में बुलंदी से रखने वाले जनप्रतिनिधि को ही हम लोग अपना मत देंगे। साथ ही साथ महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाला उसकी सुरक्षा और स्वावलंबन की दिशा में पहल करने वाला ही हम महिलाओं की पहली पसंद होगा। उक्त बातें बरबीघा विधानसभा की महिलाओं ने बड़ी मुखरता से रखी है।
शेखपुरा। महिलाओं की समस्याओं को सदन में बुलंदी से रखने वाले जनप्रतिनिधि को ही हम लोग अपना मत देंगे। साथ ही साथ महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाला, उसकी सुरक्षा और स्वावलंबन की दिशा में पहल करने वाला ही हम महिलाओं की पहली पसंद होगा। उक्त बातें बरबीघा विधानसभा की महिलाओं ने बड़ी मुखरता से रखी है। महिला सुरक्षा को लेकर महिलाओं ने स्पष्ट रूप से इसे पहली प्राथमिकता देने की बात कही। साथ ही साथ महिलाओं के रोजगार को भी ध्यान में रखने की बात कही है।
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दीपांजलि शर्मा, शिक्षिका, महावीर चौक: जनप्रतिनिधि चुनने की सबसे पहली प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि वह शिक्षित हो और हर बात को समझने में सक्षम हो। हमारी समस्याओं को विधानसभा में रख सके। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पहल करे। हमारी समस्याओं को सुलझाने में मदद दे।
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रश्मि कुमारी, शिक्षिका, गंजपर:
समाज को वैसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है जो हमारी बुनियादी समस्याओं के बारे में जानकारी रखता हो। हमें बोलने बाला नेता चाहिए जो हमारी आवाज बन सके। हमे रोजगार की दिशा में बढ़ने में मदद करे। सरकार नीति बनाने में महिलाओं के हित को ध्यान में रखे।
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रुचि कुमारी, सोशल वर्कर, खचिया गली:
संविधान ने हमें एक बेहतर जनप्रतिनिधि चुनने की स्वतंत्रता दी है। इसलिए हमें मतदान जरूर करना चाहिए। हमे वैसे जनप्रतिनिधि को चुनना चाहिए जो महिलाओं की सुरक्षा महिलाओं के अधिकार एवं सम्मान की रक्षा के लिए लड़ सके उनकी आवाज बन सके।
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नेहा देवी, गृहणी, पोस्ट ऑफिस रोड:
अक्सर देखा जाता है कि मतदान करने में मतदाता जात पात के चक्कर मे फंस जाते हैं और गलत जनप्रतिनिधि को चुन लेते हैं। इसलिए अपने मत से अपने लिए जनप्रतिनिधि चुनने के क्रम में जाति धर्म का विशेष महत्त्व ना दिया जाए एवं ईमानदारी से एक ईमानदार एवं स्वच्छ छवि का व्यक्ति चुना जाए तो वह समाज के लिए वरदान साबित होगा। ---
खुशबू कुमारी, शिक्षिका, दिनकर नगर:
हमे वैसा जनप्रतिनिधि चुनना चाहिये जो हमारी समस्यों को सुनने के लिए कुछ विशेष व्यवस्था करे। इस डिजिटल समय में डिजिटल तरीके से ही समय समय पर हमारे बीच उपस्थित होकर महिलाओं की समस्याओं को सुनने का प्रयास करे। जनप्रतिनिधि चुनने में महिलाओं का योगदान पुरषों से कम नही है। --
प्रीति भदानी, गृहणी, सामाचाक
अपने मत के प्रयोग में हमे भले कुछ मिनट लगते हों पर हम अपने मत की ताकत से पांच साल के लिए अपनी आवाज उठाने वाले एक जनप्रतिनिधि को चुनकर लोकसभा विधान सभा भेजते हैं। इसलिए हमें सोच विचार कर वैसे व्यक्ति को जिताना चाहिए जिसे सोचने समझने के साथ हमारे लिए बोलना भी आता हो।