दूसरों को सुरक्षा देने वाला खुद ही हैं असुरक्षित
शेखपुरा। शेखपुरा एवं नालंदा सीमा पर स्थित मिशन ओपी का भवन बिल्कुल ही जर्जर स्थिति में पहुंच कर अपना
शेखपुरा। शेखपुरा एवं नालंदा सीमा पर स्थित मिशन ओपी का भवन बिल्कुल ही जर्जर स्थिति में पहुंच कर अपना अंतिम सांसें गिन रहा है। यह भवन का छत इतना अधिक जर्जर हो चुका है कि उसका पलास्टर पूर गिर गया। अब सिर्फ छड़ ही दिखाई दे रहा है । इस ओपी के जिम्मे बरबीघा शहरी क्षेत्र के करीब 70 से 75 प्रतिशत आबादी निर्भर है । जिसकी सुरक्षा का जिम्मा इसी मिशन ओपी को है। लेकिन एक तरफ जहां जर्जर भवन के कारण पदाधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों को बरसात के दिनों में प्लास्टिक लगाकर गुजारा करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर संसाधनों की कमी की बजह से अपराध पर पूर्ण नियंत्रण करपाना मुश्किल भरा काम है । क्योंकि गस्ती के लिए इस ओपी के पास अपना कोई वाहन तक नहीं है । जिससे मोटरसाईकिल के सहारे ही काम चलाना पड़ता है । छत से पानी टपकने के कारण कागजातों एवं दस्वेजों को रख पाना भी कठिन है । यहां दो सेक्शन फोर्स प्रति नियुक्त है । थानाध्यक्ष राज किशोर प्रसाद ¨सह के अलावा चार पदाधिकारी और एक मुंशी भी यहां पदस्थापित हैं। लेकिन रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है । अधिकांश लोग किराये के मकान या फिर बरबीघा थाना में रहते हैं । बैरक में रहने वाले सुरक्षाकर्मी छत के नीचे प्लास्टिक लगाकर रहते हैं। नालन्दा की सीमा से सटे रहने के कारण इस ओपी की जिम्मेवारी और भी अधिक रहती है। अपराध नियंत्रण के मद्देनजर जहां बिहार के विभिन्न थानों और ओपी को आधुनिक सुविधाओं से लैश किया जा चुका है। लेकिन मिशन ओपी आज भी पुराने ढर्रे पर ही इतनी बड़ी बरबीघा शहरी क्षेत्र की आबादी को सुरक्षा देने का काम कर रहा है।