अल्प बारिश से संकट के बीच हरोहर में पानी चढ़ने से खुशी
हरोहर नदी में चढ़ा पानी, टाल के लोगों में खुशी
मक्का व सरसो का मुफ्त मिलेगा बीज
जागरण संवाददाता, शेखपुरा:
मघा नक्षत्र में भी बारिश के लिए तरस रहे जिले में खुशी की एक बात है टाल क्षेत्र की लाइफ लाइन मानी जाने वाली हरोहर नदी में पानी की आमदनी बढ़ने लगी है। पिछले तीन दिनों से नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। घाटकुसुंभा गांव के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज राम ने बताया कि गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से हरोहर नदी में नीचे से पानी चढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ने की गति यही रही तो अगले 48 से 72 घंटे के बाद नदी का दोनों किनारा एक हो सकता है। हरोहर का जलस्तर बढ़ने से क्षेत्र के किसानों में हर्ष है। बता दें टाल के खेत जब पानी में डूबते हैं तो क्षेत्र में खुशहाली आती है। कारण टाल में रबी फसलों खासकर दलहन की खेती होती है। क्षेत्र के पानापुर, कोयला, बाउघाट, गदबदिया, अकरपुर व सुजालपुर के किसानों ने हरोहर के जलस्तर में वृद्धि को टाल के अच्छे दिन की उम्मीद जताई है।
धान रोपनी का आंकड़ा बढ़ा
चालू खरीफ सीजन में बारिश की कमी के बीच किसान जैसे-तैसे धान की रोपनी कर रहे हैं। जिला कृषि पदाधिकारी शिवदत्त सिन्हा ने बताया कि जिले में 23 हजार हेक्टेयर धान की रोपनी के लक्ष्य के विरुद्ध 15534 हेक्टेयर में रोपनी का काम पूरा हो गया है, जो लक्ष्य के 67.5 प्रतिशत है। घाटकुसुंभा प्रखंड में लक्ष्य से अधिक 110 प्रतिशत रोपनी हुई है। शेखोपुरसराय में 92, शेखपुरा में 79, बरबीघा में 62, अरियरी में 62 तथा चेवाड़ा में 38 प्रतिशत रोपनी हुई है। धान की रोपनी और रोपनी हुए धान के पौधों को बचाने के लिए किसानों को डीजल अनुदान दिया जा रहा है।
परती खेतों में वैकल्पिक खेती
बारिश के बिना परती रह गए खेतों में वैकल्पिक खेती योजना के तहत मक्का और सरसो की खेती की जाएगी। इसके लिए सरकार ने जिले को बीज उपलब्ध कराना शुरू भी कर दिया है। कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसानों को यह बीज निःशुल्क दिया जाएगा। यह बीज उन्हीं किसानों को दिया जाएगा, जिनका खेत परती (खाली) रह गया है। पशुओं के चारा के लिए भी किसानों को बरसिम घास और ज्वार का बीज दिया जाएगा। धान की क्षतिपूर्ति के लिए मक्का, सरसो, तोड़ी, उड़द व कुरथी की खेती करने के लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें कुछ बीज जिले को मिल भी गया है।
डीजल अनुदान के 1004 आवेदन रद
धान की रोपनी और धान के पौधों को बचाने के लिए किसानों को डीजल अनुदान की सहायता देनी शुरू हो गई है। इस योजना में सरकारी मदद लेने के लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर बड़े पैमाने पर फर्जी आवेदन मिल रहे हैं। कृषि पदाधिकारी ने बताया कि डीजल अनुदान के 1028 में से 1004 आवेदन रद किए गए हैं। 24 सही आवेदनों पर किसान को 42832 रुपए की सहायता दी गई है। इन आवेदनों की तीन स्तरों पर जांच की जा रही है। गांव जाकर कृषि समन्वयक के आन स्पाट सत्यापन के बाद कृषि पदाधिकारी जांच करते हैं।