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पहले घर लौटने की थी चिता, अब बाहर जाने की बेचैनी

शिवहर। कोरोना संकट से उत्पन्न उथल-पुथल के बीच लोग खुद को निर्णय लेने में असमर्थ पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 01:09 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:44 AM (IST)
पहले घर लौटने की थी चिता, अब बाहर जाने की बेचैनी
पहले घर लौटने की थी चिता, अब बाहर जाने की बेचैनी

शिवहर। कोरोना संकट से उत्पन्न उथल-पुथल के बीच लोग खुद को निर्णय लेने में असमर्थ पा रहे हैं। वर्तमान में ऐसे दृश्य आम हैं कि लॉकडाउन को लेकर किस तरह मुसीबत झेलते लोग अपने घरों को लौट रहे। बस एक ही मकसद है बस अपनों के बीच पहुंचना जबकि उन्हें यह भी मालूम है कि वहां क्वारंटाइन में रहना होगा फिर भी यह सितम उन्हें कबूल है क्योंकि बाहर के प्रदेशों में उन्हें अब रहना मुश्किल जान पड़ रहा। लौटे प्रवासियों की माने तो वहां उन्हें खाने का सामान नहीं मिल रहा। रोजगार बंद होने से रुपयों के लाले पड़े हैं और लाला दुकानदार उधार नहीं दे रहा। ऐसी सूरत में उन्हें अपना गांव व घर महफूज दिख रहा।

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वहीं दूसरी ओर जिले के मजदूरों को पंजाब जाने की बेचैनी है। क्योंकि, वहां धान की रोपनी चल रही होगी। मजदूरों की किल्लत से अच्छी खासी रकम कमाई होने की उम्मीद बलवती हो रही। ये वहां पहुंचने की जुगत तलाश रहे। ठीक इसी तर्ज पर पंजाब हरियाणा के सरदार किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे उन्हें किसी हाल में मजदूर चाहिए। दो मजदूरों के बीच की कड़ी बन रहे बिचौलिए जिन्हें उनकी भाषा में नंबरदार कहा जाता है। ये कथित नंबरदार एक मायने में बिचौलिए की भूमिका निभाते हैं इनके जान पहचान में मजदूरों की फौज होती है।

बताया जा रहा कि धान की रोपनी कराने सरदारों ने एक प्लानिग के तहत निजी गाड़ी भेजकर शिवहर प्रखंड के हरनाही गांव से पांच लोगों को पंजाब बुलाया। जिन्हें नंबरदार कहा जाता है। जिनके द्वारा अन्य मजदूरों से फोन पर संपर्क साधने के पश्चात 35 मजदूर जाने को राजी हुए। तय रणनीति के अनुसार 23 एवं 24 मई 20 को क्रमश: दो लग्जरी बसें सुंदरपुर पहुंची जिसमें पहली खेप में 35 मजदूर पंजाब के लिए रवाना हुए। जिसे यूपी बार्डर से वापस कर दिया गया। जब उक्त मजदूरों की खेप बैरंग वापस आ गई तो दूसरी बस भी वापस पंजाब लौट गई।

पंजाब की बाबत लौटे मजदूरों ने बताया कि धान की कटनी के बाद नवंबर- दिसंबर में घर आए थे उसके बाद नहीं जा सके। एक मजदूर एक सीजन में अमूमन 25 हजार रुपये कमा लेता है। अभी जो स्थिति है उसमें कमाई दोगुनी हो सकती है क्योंकि वहां मजदूर नहीं मिल रहे। फिर से बाहर जाने को बेचैन हैं मजदूर

कोरोना और लॉकडाउन के बीच मजदूर पलायन करने को आतुर दिख रहे। यहां के लोग पंजाब सरहिद, राजपुरा व पटियाला में काम करते हैं। सरदार द्वारा भेजी गई बस से निशुल्क जाने की योजना फेल होने पर अब अपने स्तर से भी जाने की तैयारी हो रही। मिली जानकारी के मुताबिक हरनाही के दिलीप कुमार, इंद्रजीत सहनी, चुल्हाई साह जयलाल राय एवं रामजनम राय सहित अन्य ने ऑनलाइन रेल टिकट भी निकाल रखी है। वर्जन: अगर कोई अनधिकृत रुप से मजदूरों को ले जाता है तो सूचना मिलने पर जांचोपरांत विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

अवनीश कुमार सिंह, जिला पदाधिकारी, शिवहर। निबंधित कामगार मजदूरों को बाहर ले जाने के पूर्वे श्रम विभाग को सूचना दी जाती है। ऐसी कोई सूचना मेरे यहां नहीं है। अपनी मर्जी से अगर कोई कहीं रोजगार के लिए जा रहा तो उसे रोका नहीं जा सकता। लेकिन, कोई बिचौलिया अगर प्रेरित या झांसा देकर समूह में मजदूरों की खेप ले जा रहा तो उसके विरुद्ध ह्यूमन ट्रैफिकिग का मामला बनता है।

रणवीर रंजन, श्रम अधीक्षक, शिवहर।

मेरी जानकारी में भी यह बात आई कि कुछ मजदूर इस कोरोना संकट में भी बाहर जाने की सोच रहे। जाने वाले मजदूर समझाने पर रोजगार छीन जाने एवं आíथक परेशानी का हवाला दे रहे हैं।

रामनाथ ठाकुर

मुखिया प्रतिनिधि, हरनाही पंचायत, शिवहर


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