गन्ने की मिठास पर मिल बंदी की कड़वाहट
शिवहर। रीगा चीनी मिल में पेराई शुरू नहीं होने से सीतामढ़ी और शिवहर के किसानों के खेतों में ल
शिवहर। रीगा चीनी मिल में पेराई शुरू नहीं होने से सीतामढ़ी और शिवहर के किसानों के खेतों में लगी गन्ने की फसल पर बर्बादी का साया मंडरा रहा है। करीब 40 हजार किसान समेत ढाई लाख लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। किसानों को खेती की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
दोनों जिलों के करीब 10 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। किसान महंगी खाद, बीज और सिंचाई के जरिए खेती करते हैं। यह फसल उनकी जिंदगी में मिठास घोलती रही है, लेकिन इस बार उसका स्वाद कड़वा हो गया।
बिचौलियों की हो रही कमाई : गन्ने की खेती से लेकर कटाई तक प्रति एकड़ 60 हजार रुपये खर्च आता है। वहीं, प्रति एकड़ 400 क्विंटल उत्पादन होता है। सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य गुणवत्ता के आधार पर 265, 280 व 295 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। प्रति एकड़ तकरीबन एक लाख 15 हजार रुपये का गन्ना होता है। इस बार मिल बंद होने के चलते गन्ने का कोई मोल नहीं रह गया है। मजबूरी में किसान बिचौलियों के हाथों 100-150 रुपये प्रति क्विंटल बेच रहे। खेत में जितने दिन तक गन्ना रहेगा, उसका वजन कम होता जाएगा। अब तक दो हजार से अधिक किसान गन्ना बेच चुके हैं।
कृषि विज्ञानी संजय कुमार के अनुसार, ससमय गन्ने की कटाई नहीं होगी तो यह सूख जाएगा। रस कम होने से रिकवरी रेट भी कम हो जाएगी।
किसानों के अरमानों पर फिरा पानी : बिचौलिये शिवहर में गाव-गाव घूमकर गन्ना खरीद गोपालगंज चीनी मिल को बेच रहे हैं। पुरनहिया में धर्मकाटे की स्थापना की गई है। शिवहर जिले के धर्मपुर निवासी रामसंजीवन राय ने बताया कि पांच एकड़ में गन्ने की खेती की थी। उम्मीद थी कि इस सीजन में अच्छी आय होगी, लेकिन अब तो गन्ना बेचने पर ही संकट है। मजबूरी में गन्ना बिचौलिये के हाथ बेच रहे। पुरनहिया के किसान राम भरोस सिंह व बेलहिया के किसान शशि शेखर सिंह बताते हैं कि मिल बंद होने से किसान बर्बाद हो रहे हैं। बागमती के इलाकों में धान-गेहूं की खेती नहीं होती है। गन्ना ही उम्मीद की फसल है।
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-कोट
पेराई सत्र शुरू करने की तैयारी कर ली गई है। मजदूरों के आने का इंतजार है।
-शशि गुप्ता
मुख्य महाप्रबंधक, रीगा चीनी मिल
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