आधी रात को फिर से आंधी-पानी का कहर
शिवहर। मौसम की क्रूरता कहें या फिर ग्लोबल वार्मिग का दुष्परिणाम कि मौसम बेपटरी सी हो गई है। आज जहां बारिश के लिए त्राहि त्राहि मची है वहीं दूसरी ओर पूरे दिन आकाश से मानो शोले बरस रहे हैं।
शिवहर। मौसम की क्रूरता कहें या फिर ग्लोबल वार्मिग का दुष्परिणाम कि मौसम बेपटरी सी हो गई है। आज जहां बारिश के लिए त्राहि त्राहि मची है वहीं दूसरी ओर पूरे दिन आकाश से मानो शोले बरस रहे हैं। घर से निकलना दूभर हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि बाहर निकले तो बदन झुलस जाएगा। यह क्रम करीब एक महीने से जारी है। इस बीच दो तूफान भी जिलावासियों को झेलने पड़े। जिसमें अनगिनत घरों को नुक़सान पहुंचा। वहीं वन संपदा को भी भारी क्षति पहुंची। इससे अभी लोग उबर नहीं पाए हैं कि सोमवार की रात करु डेढ़ बजे फिर से प्रकृति ने अपनी भृकुटी तानी और आंधी के झोंको ने कितनों के छप्पर इधर से उधर कर दिए। प्रकृति का यह कृत्य जले पर नमक छिड़कने जैसा है। लेकिन इस पर किसी जो नहीं चल रहा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि बारिश के बाद भी तापमान में कोई गिरावट नहीं आ रही। दिन निकलने के साथ ही पारा में बढ़ोत्तरी प्रारंभ हो जा रही है जिसके परिणामस्वरूप बीमारों की तादाद बढ़ रही है। अस्पतालों में तपेदिक एवं डायरिया के रोगियों को देखा जा सकता है। सबसे बड़ी परेशानी किसानों को है जिसे अन्नदाता कहते हैं। वे चितित हैं अगर परिस्थितियों में बदलाव नहीं हुआ तो खरीफ की फसल होने से रही। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि जिले को दुर्भिक्ष का सामना करना पड़े। दरअसल अभी तो धान की रोपनी का समय आ गया जबकि किसानों के पास बिचड़ा तैयार नहीं है। जिन लोगों ने नलकूप या पंपसेट की बदौलत बिचड़े गिरा रखें हैं वे समुचित सिचाई के अभाव या तो रोगग्रस्त हो गए हैं अथवा सूख गए है। इन हालातों में किसानों को अपना भविष्य अंधकारमय जान पड़ता है।