बहनों ने राखी से सजाई भाई की कलाई
विवार का दिन रक्षाबंधन के नाम रहा। चारों ओर रक्षाबंधन के गीतों का शोर गूंजता रहा।
शिवहर। रविवार का दिन रक्षाबंधन के नाम रहा। चारों ओर रक्षाबंधन के गीतों का शोर गूंजता रहा। पूरे दिन बहनों का भाई के यहां तो भाईयों का बहन के घर जाने का सिलसिला दिखा। राखी को लेकर बहनों की खुशी देखने लायक थी। स्नेह व प्रेम से परिपूर्ण बहनों ने भाई के लिए पूजा के थाल सजाए। अक्षत चंदन, दीप जला अपने भाई की आरती उतारी। फिर स्नेह के धागे भाई की कलाई में बांध मंगलकामना की। बिना पंडित एवं आचार्य के मनाया जानेवाला यह राखी का एक अनूठा त्यौहार है, जो भाई बहन के पवित्र प्रेम को और भी प्रगाढ़ करता है। इसमें बिन कहे परस्पर एक दूसरे के भाव एवं मनुहार को स्वत: जान लेते हैं। बहन बिन कहे अपनी मांग रख जाती है वहीं भाई बिन मांगे बहन को अपना विश्वास दे जाता है। यह मूक आदान प्रदान ही रक्षाबंधन को अन्य त्योहारों से अलग करता है। भाई बहन के बीच स्नेह डोर के इस बंधन का कोई सानी नहीं है। पूरे वर्ष भर बहनें इस दिन का इंतजार करती है वहीं भाई को भी इस सुखद क्षण का इंत•ार रहता है।इस बार का रक्षाबंधन इस मायने में विशेष रहा कि रविवार होने से ड्यूटी जाने की बेताबी नहीं थी। वही बाजार में भी चहल-पहल देखी गई। कोई राखी बांधने जा रहा है तो कोई बंधवाने। राखी पर्व को लेकर आज मिष्ठान्न भंडारों में मिठाईयां कम पड़ गई। नतीजतन लोग डिब्बाबंद मिठाई एवं अन्य गिफ्ट पैक खरीदते देखे गए। वहीं शहर से लेकर सुदूर देहात तक रक्षाबंधन की धूम रही। सभी की कलाइयों में बहनों की बांधी गई राखी दमकता दिखा। ऐसी कोई कलाई नहीं जिसमें राखी की डोर न बंधी हो। जिनकी खुद की बहन नहीं हैं उनके पड़ोस की बहनों ने उन्हें निराश नहीं किया वही भाईयों ने भी बहनों को यथासंभव उपहार दिए।