शिवहर-सीतामढ़ी पथ एनएच 104 बनी दुखदाई
शिवहर। शिवहर जिसे नवोदित एवं सबसे छोटा जिला की संज्ञा प्राप्त है विकास से कोसों दूर है।
शिवहर। शिवहर जिसे नवोदित एवं सबसे छोटा जिला की संज्ञा प्राप्त है, विकास से कोसों दूर है। विकास के लिए सबसे अहम है सड़क संपर्क की सुविधा जिसमें यह जिला आज भी फिसड्डी साबित हो रहा है। पड़ोस के तीन जिलों क्रमश: सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर एवं पूर्वी चंपारण के मुख्यालय मोतिहारी से सीधा सड़क संपर्क नहीं है। ऐसा नहीं है कि सड़कें नहीं हैं, आवागमन दुरुह है। शिवहर-मुजफ्फरपुर पथ चौड़ीकरण कार्य को लेकर जगह-जगह परेशानी का सबब बना है तो शिवहर-मोतिहारी पथ में बेलवा घाट स्थित तीन किलोमीटर का कभी खत्म नहीं होने वाला दर्द अब तक ठीक नहीं हुआ है हालांकि इसे एसएच 54 का दर्जा हासिल है। वहीं सबसे बदतर स्थिति है शिवहर के मातृजिला सीतामढ़ी पथ की जहां बागमती नदी के दोनों तटबंधों के बीच की एनएच 104 की हालत ऐसी है कि जो कोई भी एक बार इस सड़क से गुजरता है वह फिर दुबारा आने से डरता है। अगर भूल से आ भी गया तो तो उस होकर लौटने के बजाए रास्ता बदलकर पिपराही-पुरनहिया-बसंतपट्टी होकर जाने में ही अपनी भलाई समझता है। वजह से रुबरु हो लें कि दोनों ही तटबंधों के बीच करीब चार वर्षो में सड़क नहीं बन सकी है जबकि इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की जरूरत है। आगामी बाढ़ में पूरा अंदेशा है कि बनाई गई सड़क बागमती की भेंट चढ जाए। सबसे बड़ी परेशानी इन दिनों यह है कि उड़ते धूल से हर आने-जाने वाले का हुलिया बिगड़ जा रहा है। वहीं यह सड़क वाहन चालकों के ड्राइविग कौशल की परीक्षा ले रही है। नजारा तब देखने लायक होता है जब कोई बड़ी गाड़ी बगल से गुजरती है, फिर क्या सामने धूल के सिवा कुछ भी तो दिखाई ही नहीं देता है। वहीं दुर्घटना होना तो यहां के लिए आम बात है। इन दुश्वारियों से निजात के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। जबकि इसके भारी दुष्परिणामों से इंकार नहीं किया जा सकता है। आने वाले संभावित बाढ़ या फिर बरसात में ज्यादा संभावना है कि आवागमन कहीं ठप न पड़ जाए।