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विद्यालय के बच्चों के लिए नहीं है पीने का पानी

शिवहर। मशहूर कहावत है चिराग तले अंधेरा. इसकी जिदा मिसाल है जिला मुख्यालय स्थित प्राथमिक विद्यालय गणेशपुर। इस तरह का अजूबा विद्यालय शायद कहीं हो।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 06:31 AM (IST)
विद्यालय के बच्चों के लिए नहीं है पीने का पानी
विद्यालय के बच्चों के लिए नहीं है पीने का पानी

शिवहर। मशहूर कहावत है, चिराग तले अंधेरा. इसकी जिदा मिसाल है जिला मुख्यालय स्थित प्राथमिक विद्यालय गणेशपुर। इस तरह का अजूबा विद्यालय शायद कहीं हो। जहां नामांकित 87 बच्चों के लिए इस गर्मी में पीने का पानी नहीं हैं। प्यास लगी तो करीब 200 मीटर दूर नवाब हाई स्कूल में जाना पड़ता है नहीं तो फिर आधा किलोमीटर दूर डायट भवन में। वहां भी अगर गेट बंद मिला तो बस भगवान भरोसे। परिसर में शौचालय नहीं है जबकि दो महिला शिक्षिका पदस्थापित हैं। एक ओर सरकार हर घर नल का जल और शौचालय निर्माण का ढिढोरा पीट रही है। वहीं दूसरी ओर मुख्यालय स्थित विद्यालय में अहम संसाधनों का अभाव विभाग एवं अधिकारियों की संवेदनशीलता की पोल खोलने को काफी है। अब विद्यालय की अन्य समस्याओं पर गौर करें तो इन बच्चों के बैठने को बेंच- डेस्क नहीं है। वो तो भला हो एचएम गीता कुमारी का, जिसने अपने स्तर से दो प्लास्टिक तिरपाल खरीद कर बच्चों को बैठने की व्यवस्था करने की सहृदयता दिखाई है। वरना बच्चे अपने घर से प्लास्टिक की खाली बोरियां लेकर आते थे। विद्यालय भवन के दरवाजे एवं खिड़कियां पल्लाविहीन हैं। वहीं टूटे फर्श पर बिछे तिरपाल पर पढ़ते बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जीवंत तस्वीरें हैं। हद तो यह है कि सड़क किनारे संचालित इस प्राथमिक विद्यालय में बाउंड्री भी नहीं है। एक ओर बच्चे पढ़ने का रस्म निभाते हैं, दूसरी ओर आवारा पशुओं को परिसर में घूमते देखा जा सकता है। प्राथमिक विद्यालय गणेशपुर के साथ न जाने यह कैसी विडंबना है कि पूर्व में यह विद्यालय शिवहर-मुजफ्फरपुर पथ किनारे फूस निर्मित घर में संचालित था। वहां भी संसाधनों का घोर संकट था। तब उसे नवाब हाई स्कूल के समीप खाली पड़े मो. गुलजार हुसैन मुस्लिम छात्रावास में शिफ्ट किया गया। कितु विद्यालय के बच्चों का दुर्भाग्य कहें या फिर विभाग की अनदेखी आज भी वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। 87 बच्चों के पढ़ाने के लिए एचएम गीता कुमारी, सहायक शिक्षक मणिभूषण सिंह एवं शिक्षा सेवक (टोला सेवक) मौजूद हैं। मध्याह्न भोजन भी एनजीओ द्वारा आपूरित है, मगर पीने को पानी नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां पढ़ाई की महज रस्म अदायगी हो रही है। वहीं विभागीय स्तर पर बाल अधिकार की अवहेलना भी। वर्जन:

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अगर ऐसी स्थिति है तो वाकई चिताजनक है। मैं तहकीकात कर रही हूं कि आखिर इस तरह की अनदेखी कहां से हुई है संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। वहीं फौरी तौर पर चापाकल सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं शीघ्र मुहैया मुहैया करा दी जाएंगी। चिता कुमारी

जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिवहर।


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