देकुली धाम में श्रावणी मेला की तैयारी शुरू, यहां उमड़ते श्रद्धालु
जीवन के तमाम झंझावातों के बीच खुशियां मनाने के भी अवसर निर्धारित हैं। खासकर धार्मिक पर्व त्योहारों की परंपरा इसी की एक कड़ी है।
शिवहर। जीवन के तमाम झंझावातों के बीच खुशियां मनाने के भी अवसर निर्धारित हैं। खासकर धार्मिक पर्व त्योहारों की परंपरा इसी की एक कड़ी है। शैव उपासकों के लिए सावन मास का विशेष महत्व है। पूरे महीने शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई देती देती है। जिसमें गोगौली में गोगलनाथ महादेव मंदिर, हिरौता एवं कुशहर स्थित गौरीशंकर मठ सहित दर्जनों शिवमंदिर शामिल हैं। परंतु शिवहर - सीतामढ़ी पथ के देकुली धाम स्थित महादेव मंदिर का इसमें विशेष महत्व है। एनएच 104 से सटे इस शिवालय में लाखों की भीड़ उमड़ती है। मालूम हो कि आगामी 17 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इस दौरान पड़ोसी जिलों के अलावे नेपाल से भारी तादाद में शिवभक्त की आवक होगी। श्रावणी मेला की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। इस बार भक्तों को देकुली धाम में कुछ नया देखने कै मिलेगा। मंदिर प्रबंधन द्वारा मुख्य मंदिर के चारों ओर बने परिक्रमा पथ के जर्जर छत को हटाकर नए छत की ढलाई की गई है। वहीं पास स्थित पोखर जहां से जल लेकर बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक किया जाता है उसकी सीढि़यां नई बन गई हैं। वहीं सभी मंदिरों का रंग रोगन तेजी से किया जा रहा है। मंदिर प्रबंधन समिति ने कहा मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का हर संभव ख्याल रखा जाएगा। अनियंत्रित भीड़ एवं असुविधा न हो इसके लिए परिसर में बेरिकेटिग की गई है जहां पुरुष / महिला श्रद्धालुओं की पृथक लाईनें लगाई जाएंगी। वहीं पुलिस प्रशासन के सहयोग से एवं प्रबंधन के स्वयंसेवकों द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाने हैं। मंदिर परिसर एवं गर्भगृह के अलावा मीना बाजार में भी सीसीटीवी कैमरे से निगाह रखी जाएगी। इधर श्रावणी मेला को लेकर मीना बाजार सजाने की भी तैयारी जोरों पर है। इसके लिए जगह बुक करने की आपाधापी तेज हो चली है। वहीं बड़ा झूला की कंपनी ने अपना तंबू गाड़ रखा है। जहां रात दिन काम कर उसे खड़ा करने में लगे हैं। इधर गांव- घर में देकुली धाम जाकर सावन का दर्शन करने की योजना बनाई जा रही है। सोमवारी दर्शन पर भारी भीड़ की सोच सबसे पहले पहुंचने की सब सोच रहे हैं। एक बात और बताना आवश्यक है कि सोमवारी दर्शन को मीनापुर थाना के नेऊरा से प्रतिवर्ष करीब पांच हजार शिवभक्तों की टोली पैदल कांवर के साथ पहुंचती है। इस दौरान बोलबम के गूंजते नारों से वातावरण शिवमय हो जाता है। इस विहंगम ²श्य को देखने को लोग सड़कों पर खड़े मिलते हैं। वहीं की स्वयंसेवी संस्थाएं शीतल जल एवं अल्पाहार की सुविधा प्रदान करते हैं।