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राहगीरों की परेशानी का सबब बने सड़क के बीच गड्ढे

मुख्यालय से खैरवा दर्प होकर सुगिया बाजार एवं परदेशिया को जाती सड़क विकास कार्यों को आइना दिखाने के लिए काफी है। सड़क पर बने बड़े बड़े गड्ढे और उसमें भरे पानी न सिर्फ सड़क को खत्म कर रहे बल्कि उस होकर गुजरने वाले राहगीरों की परेशानी का सबब बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 12:32 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:17 AM (IST)
राहगीरों की परेशानी का सबब बने सड़क के बीच गड्ढे
राहगीरों की परेशानी का सबब बने सड़क के बीच गड्ढे

शिवहर । मुख्यालय से खैरवा दर्प होकर सुगिया बाजार एवं परदेशिया को जाती सड़क विकास कार्यों को आइना दिखाने के लिए काफी है। सड़क पर बने बड़े बड़े गड्ढे और उसमें भरे पानी न सिर्फ सड़क को खत्म कर रहे बल्कि उस होकर गुजरने वाले राहगीरों की परेशानी का सबब बने हैं। मिनटों की यात्रा घंटों में वाली कहावत यहां सही साबित हो रही। वहीं दुर्घटना का अंदेशा है सो अलग। खैरवा दर्प गांव की नारकीय हालत ऐसी कि शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है जब कोई साइकिल या बाइक सवार गड्ढे में औंधे मुंह न गिरता हो। इसी रास्ते रोजाना गुजरने वाले परदेशिया निवासी सरपंच सह कांग्रेस जिला प्रवक्ता मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि वर्षों इंतजार के बाद बीते वर्ष इस सड़क का निर्माण इसलिए किया गया कि तब जल जीवन हरियाली यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री की यात्रा प्रस्तावित थी। हालांकि बाद में कार्यक्रम स्थल में परिवर्तन हो गया। संतोष की बात यह रही कि इसी बहाने इस सड़क की तकदीर और सूरत बदल गई। लेकिन यह उम्मीद एक छलावा साबित हुआ। महज एक साल के भीतर सड़क पर इतने गड्ढे और जर्जर हालत को प्राप्त कर गए कि दिन में पार करना मुश्किल है। यहां विचारणीय है कि अगर आसपास के लोगों को इमरजेंसी होगी तो रात को मरीज लेकर अस्पताल जाने में उनकी क्या हालत होगी। मरीज और दूसरी बीमारी से ग्रसित हो जाएगा या फिर दुर्घटना का शिकार। जिला प्रशासन से मांग की कि उक्त सड़क की अविलंब मरम्मत कराई जाए। वहीं सड़क बनाने वाली निर्माण कंपनी से जवाब तलब की जानी चाहिए। मालूम हो कि उक्त सड़क व्यस्ततम सड़कों में एक है क्योंकि इसका सीधा जुड़ाव पड़ोसी जिला पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी से है। बड़ी संख्या में लोग व सवारियों का इस रास्ते से गुजरना होता है। वहीं चेतावनी दी कि अगर इस पर संज्ञान नहीं लिया गया तो स्थानीय लोगों का रोष कभी भी विरोध प्रर्दशन के रूप में फूट सकता है।

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