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बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपने घर लौटने लगे लोग

जिलावासियों ने पांच दिन कैसे गुजारे यह वहीं जान सकते हैं जिसने बाढ़ के कहर को झेला है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 11:59 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:28 AM (IST)
बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपने घर लौटने लगे लोग
बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपने घर लौटने लगे लोग

शिवहर। जिलावासियों ने पांच दिन कैसे गुजारे यह वहीं जान सकते हैं जिसने बाढ़ के कहर को झेला है। लेकिन अनुभव जरुर किया जा सकता है कि अपना घर जिसकी तुलना स्वर्ग से की जाती है। चतुर्दिक पानी से घिर गया और गृहस्वामियों को शरणार्थी की तरह तटबंधों पर या फिर राहत शिविरों में खानाबदोश की जिदगी जीने को विवश होना पड़ा। खैर इस प्राकृतिक आपदा का सहन करते हुए बाढ़ प्रभावितों की धीरे धीरे ही सही घर वापसी होने लगी है। लोग अपने उजड़े चमन को फिर से आबाद करने की कोशिश में लग हैं। परंतु यह काम इतना आसान नहीं है। ऐसे भी पीड़ित हैं जिनके घर पूर्णत: धराशाई हो चुके हैं , घर में खाद्यान्न, कपड़े, सहित अन्य समाजों सामान बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं उनके समक्ष ने सिरे से जिदगी की शुरुआत करने का यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है।

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इसके बावजूद लोगों की जीजिविषा कम नहीं हुई है। लोग अपने घरों को सीधा करने एवं आंगन में जमी बाढ के पीली मिट्टी की मोटी परत हटाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। वहीं अब टकटकी लगी है सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि की। इसके लिए नाम जुड़वाने की मानों मारामारी मची है डर है कि कहीं छूट गए तो मरुस्थल में मिलने वाली पानी के बूंद की माफिक छह हजार रुपये से वंचित होना होगा। हालांकि डीएम अरशद अजीज ने भरोसा दिया है कि एक भी प्रभावित सहायता राशि से वंचित नहीं होंगे वहीं एक सप्ताह के भीतर राशि उनके खाते में होगी। जीवन सामान्य होने में लगेगा वक्त बागमती ने जिस तरह कहर बरपाया है उससे लगता है कि जिदगी पटरी पर लौटने में वक्त लगेगा। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की अधिकांश सड़कें को या तैराकों टूट गईं हैं या फिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं जिसका निर्माण एवं उसकी मरम्मत सरकारी गति से ही होगी। करीब दो सप्ताह से एनएच 104 शिवहर- सीतामढ़ी पथ एवं एसएच 54 शिवहर- मोतिहारी पथों पर वाहनों का परिचालन ठप है। जिसे अविलंब बहाल करने की चुनौती सामने दिखाई दे रही है। बागमती लील गई किसानों के सपने सर्वाधिक नुकसान जिले के किसानों का हुआ है कि घर की जमा-पूंजी धान की फसल के लिए खेतों में लगा दी। अभी धान के नौनिहाल पौधों की जड़ें भी नहीं जमा पाई थी कि बागमती के बाढ़ का पानी उसे लील गई। अब फिर से बिचड़ा तैयार कर धान की रोपनी संभव प्रतीत नहीं हो रहा। बागमती के जल वृद्धि गुरुवार की सुबह तक बागमती के जलस्तर में निरंतर गिरावट देख लगने लगा था कि संकट के बादल अब छंट गए हैं लेकिन गुरुवार की शाम अचानक से बागमती नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर के इजाफे ने लोगों में फिर से चिता बढ़ा दी है।


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