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विकास से कोसों दूर है परसौनी बैज गांव

शिवहर। विकास के तमाम दावों के बावजूद गांवों की स्थिति में अपेक्षित परिवर्तन नहीं दिख रहा। बुनियादी सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को अब भी इंतजार है। सड़क बिजली शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा की मांग आज भी यथावत है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 12:46 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:18 AM (IST)
विकास से कोसों दूर है परसौनी बैज गांव

शिवहर। विकास के तमाम दावों के बावजूद गांवों की स्थिति में अपेक्षित परिवर्तन नहीं दिख रहा। बुनियादी सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को अब भी इंतजार है। सड़क, बिजली, शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा की मांग आज भी यथावत है। गांव की पाती अभियान के तहत गुरुवार को दैनिक जागरण की टीम पिपराही प्रखंड स्थित परसौनी बैज गांव पहुंची। चौपाल में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत का मुख्य गांव परसौनी बैज खुद ही विकास से कोसों दूर है। सड़कें बनी हैं कितु बीते दिनों आई बाढ़ ने फिर से उन सड़कों को क्षतिग्रस्त कर दिया। नतीजतन सड़कें फिर से पूर्व की तरह जर्जर हो गई हैं। एनएच 104 से सटे होने के बावजूद परसौनी बैज गांव में अपेक्षित विकास नजर नहीं आता। अलबत्ता कई योजनाएं चल रही हैं। चौपाल में शामिल सभी वर्ग एवं समुदाय के लोगों ने मुखिया द्वारा किए कार्यों को संतोषप्रद बताया। वहीं कुछ लोगों ने सवाल भी उठाए। अधिकांश ग्रामीणों ने समस्याओं के लिए सरकार की नीतियों को भी जिम्मेदार बताया। कहा कि सिर्फ योजना की घोषणा एवं राशि बांटने से विकास को धरातल पर नहीं लाया जा सकता। किए गए कार्यों का अनुश्रवण भी जरूरी है। ऐसा न होने से गांव की समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई है। वहीं एक पक्ष का कहना था कि विकास को लक्ष्य कर अनेकों काम हुए हैं। सड़क, बिजली की व्यवस्था में काफी बदलाव आया है। वहीं कई योजनाएं निर्माणाधीन हैं। बावजूद

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मौजूदा समस्याएं जो चौपाल में उभरकर आई उसमें बताया गया कि पूरे गांव में एक भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। नतीजतन इलाज के दूसरे पंचायतों में जाने की मजबूरी है। मध्य विद्यालय मझौरा को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कर दिया गया है कितु भवन के अभाव में बच्चों को काफी परेशानी होती है। शौचालय निर्माण की बाबत लोगों ने बताया कि बहुत सारी आबादी आज भी शौचालय से वंचित है। वहीं गांव को कागज में ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। बावजूद आज भी खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिली है। इसमें एक वजह बीते माह आई बाढ़ में शौचालयों का ध्वस्त होना भी है। गांव में चल रहे नल- जल योजना को लेकर बताया कि कुल सात वार्डों में तीन वार्ड में नल जल की सुविधा है। शेष में खराबी के कारण नल का पानी नहीं मिल रहा। बिजली की बाबत भी शिकायत आम मिली। लो वोल्टेज एवं बिजली गुल होने की शिकायत लोगों ने की। बताया कि एक ओर बीस घंटे बिजली देने की बात की जाती है लेकिन गांवों में अबाध विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही। - क्या कहते हैं ग्रामीण सामाजिक कार्यकर्ता लालबाबू साह ने कहा कि गांव भले ही ओडीएफ हो गया है कि खुले में शौच की परिपाटी कायम है। बहुतेरे लोगों के पास अभी भी शौचालय नहीं है। नल जल योजना में काम हुए हैं लेकिन अभी भी कुछ काम बाकी है। सड़कों का भी निर्माण हुआ लेकिन फिर से जर्जर स्थिति बन गई है। नाली की सुविधा नहीं होने से सड़क जल्दी खराब हो जाती है। मनीष कुमार वर्मा का कहना है कि पंचायत में सबसे अहम है चिकित्सा सुविधा होना। स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं होने से छोटी मोटी बीमारियों के लिए भी जिला मुख्यालय जाना होता है। इस बीच कई गंभीर मरीजों की जान चली जाती है। प्रमोद साह का कहना था कि ग्रामीण मुख्य सड़क किनारे नालियों का निर्माण होना बेहद जरूरी है। इससे जल जमाव दूर होने के साथ ही सड़कें भी सुरक्षित रहेंगी। हर घर नल का जल पहुंचाने की दिशा में काम हुआ है अभी और वार्डों में काम होना बाकी है। भीम पटेल कहते हैं कि विकास के झूठे दावे किए जा रहे हैं। अभी भी गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इस ओर ध्यान देने की •ारूरत है।


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