नाली नहीं होने से गांव की स्थिति नारकीय, आवागमन में परेशानी
शिवहर। अमूमन जब भी गांव की चर्चा होती है मानस पटल पर मूलभूत सुविधाओं से वंचितों जन समुदाय का दृश्य घूम जाता है। अगर यह कहें कि संसाधनों का अभाव गांव का पर्याय है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
शिवहर। अमूमन जब भी गांव की चर्चा होती है मानस पटल पर मूलभूत सुविधाओं से वंचितों जन समुदाय का दृश्य घूम जाता है। अगर यह कहें कि संसाधनों का अभाव गांव का पर्याय है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जबकि सरकारी दावे बताते हैं कि बीते दशकों में तेजी से गांवों का विकास हुआ है। वहीं गांववासियों की राय में सारे विकास कागजी हैं। आज भी गांवों में समस्याओं की लंबी फेहरिश्त है। इसी विरोधाभास की पड़ताल को लेकर ही दैनिक जागरण की टीम गांव की पाती अभियान के तहत चिकनौटा गांव पहुंची। जहां मौजूद ग्रामीणों ने अपनी परेशानियां बताई।
कहा कि हरनाही पंचायत शहर से सटा होने के बावजूद विकास से कोसों दूर है। कायदे के अनुसार तो इस पंचायत को आदर्श पंचायत होना चाहिए था कितु संबद्ध गांवों की सड़कें आज भी कीचड़ से सनी हुई है। यही कारण है कि यहां के लोग शहर की ओर पलायन कर रहे हैं।
कहा कि सबसे बड़ी समस्या नाली निकासी की है सड़कों पर बहता पानी सड़क की आयु पर ग्रहण है। वहीं कीचड़ से गुजरना हम गांववासियों की नियति बन गई है। शुक्र है कि बिजली आने से गांवों में रौशनी फैली हैं। लोग किसी तरह बचकर निकलते हैं। अभी हो रही बरसात विकास की पोल खोल रही है। एक गांव से दूसरे गांव को जानेवाली कोई भी सड़क मुकम्मल नहीं है। बावजूद इसके ग्रामीण जनजीवन विकास की बाट जोह रहा है, इस उम्मीद के साथ कि आनेवाला कल कुछ बदलाव लेकर आएगा। अलबत्ता दस वर्षों बाद प्रधानमंत्री सड़क योजना में चयनित शिवहर- चिकनौटा- हरनाही पथ का निर्माण प्रारंभ हुआ है। उक्त सड़क बन जाने से कुछ राहत मिलेगी कितु नालियां नहीं होने से यह सड़क भी ज्यादा दिनों तक टिकाऊ नहीं होगी। चौपाल में शामिल किसानों ने अपनी व्यथा का बखान किया कि पंचायत में एक भी नलकूप चालू नहीं है। एक ओर कृषि विभाग द्वारा आधुनिक खेती करने पर बल दिया जाता है लेकिन आधुनिक सिचाई की बात न तो विभाग करता है और न ही जिला प्रशासन। किसान अपने बूते खेतों की सिचाई करने को मजबूर हैं। वजह कि पंचायत वासियों की जीविका का एकमात्र साधन कृषि है। जीवन जीने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बेहद लाजिमी है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो दो स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं जो महज गिनती के लिए हैं। जहां रोगियों को इलाज के नाम पर रंग बिरंगे टेबलेट्स थमाकर रस्म पूरी की जाती है। आपातकालीन चिकित्सा के लिए जिला मुख्यालय जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। दुर्भाग्य कि वहां के अस्पताल भी केवल रेफर करना जानते हैं। चौपाल में शामिल मो. मंजर आलम, राजेश शर्मा, रमाकांत राम, मो. नसीर आलम, रामाज्ञा राम, मो. जमील अख्तर, मो. भोले, मनोहर राम, नंदकिशोर ठाकुर, लालबाबू ठाकुर, सोना देवी, चुल्हिया देवी, सरस्वती देवी एवं इंदू देवी सहित अन्य ने कहा कि हम गांववालों की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी की है। जो किसी व्यक्ति या समुदाय के वश की बात नहीं है। इसके लिए संबंधित विभाग, प्रशासन एवं सरकार को गंभीर होने की जरूरत है। शुद्ध पेय जलापूर्ति की कवायद नल जल योजना के माध्यम से की जा रही है। कुछेक वार्डों में काम हुआ है शेष में अभी भी नल के जल का इंत•ार है। चौपाल में शामिल लोगों ने पंचायत संयंत्र से हुए विकास कार्यों को संतोषजनक बताया। वर्जन: हरनाही पंचायत की मुखिया कामिनी कुमारी ने बताया कि मैंने अपने स्तर से विकास कार्यों को पूरी पारदर्शिता के साथ धरातल पर उतारने का प्रयास किया है। मनरेगा योजनांतर्गत दलित/ महादलित बस्ती में मिट्टी भराई के काम बड़े पैमाने पर हुआ है। पशुपालकों के लिए नांद, फर्श का निर्माण, पक्की नाली एवं गली निर्माण, चबूतरा निर्माण, आमसभा में चयनित सड़कों पर मिट्टी भराई एवं ईंट सोलिग 14 वें वित्त आयोग से पीसीसी सड़क निर्माण सहित अन्य कार्य हुए हैं। शेष चयनित योजनाओं को मूर्तरूप दिया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता रामनाथ ठाकुर कहते हैं कि गांवों के सर्वांगीण विकास में नालियों की समस्या सबसे बड़ी बाधा है। इसके लिए पंचायत संयंत्र पर प्राप्त आवंटन पर्याप्त नहीं है। जब तक सड़क किनारे बड़ी नालियों का निर्माण नहीं होगा सड़कें सुरक्षित नहीं होंगी। इसके एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ती सड़कें भी बननी चाहिए ताकि आवागमन की सुविधा मिले। हरनाही पंचायत एक नजर में - कुल गांवों की संख्या - 5
- कुल जनसंख्या - 13807
- कुल मतदाता - 8523
- कुल परिवारों की संख्या - 3101
- बीपीएल लाभुकों की संख्या- 2291
- एपीएल - 810
- जनवितरण की दुकानें - 05
- उत्क्रमित उच्च विद्यालय-01
- मध्य विद्यालय - 05
- प्राथमिक विद्यालय - 05
- स्वास्थ्य उपकेंद्र - 02