खेतों में पड़ी दरारें किसान ¨चतित
भारतीय कृषि सचमुच मौनसून के साथ जुआ है। तरियानी में खरीफ फसलों के लिए बारिश हुई तो किसानों के पौ बारह वहीं अगर बारिश नहीं हुई तो हाय हाय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
शिवहर। भारतीय कृषि सचमुच मौनसून के साथ जुआ है। तरियानी में खरीफ फसलों के लिए बारिश हुई तो किसानों के पौ बारह वहीं अगर बारिश नहीं हुई तो हाय हाय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लगभग एक पखवाड़े से बारिश नहीं होने से अधिकांश किसानों के धान की फसल पर खतरा है। उन खेतों में दरारें पड़ने लगी है जिनमें धान के पौधे लगा रखे हैं, जिसे देख किसानों की मानों छाती फट रही है। वहीं नमी के अभाव में बिचड़े भी पीले पड़ने लगे हैं। ऐसे में रोपे गए धान के पौधे को बचाने के लिए पम्पसेट के सहारे ¨सचाई करने की अनिवार्यता बढती जा रही है। वहीं जिन खेतों की ¨सचाई कर भी दी जाती है तो उक्त ¨सचाई केवल पौधों के लिए संजीवनी का कार्य कर रहा है, लेकिन फसलों का समुचित विकास पर्याप्त ¨सचाई अभाव में थम गया है। वहीं कई किसान अपने खेतों में धान की रोपाई भी नहीं कर पा रहे हैं। किसानों को ¨चता है कि अगर 10 दिनों तक बारिश नहीं होती है, तो ऐसे में धान फसलें सूखकर नष्ट हो जाएगी जिसकी भरपाई में किसान कर्ज की चंगुल में होंगे।