Sonpur Mela 2025: चूड़ा-दही से लेकर फर्नीचर तक...सोनपुर मेला बना 'सुपर बाजार'; सुरक्षा के लिए SSB तैनात
सोनपुर मेला, 2025 में, एक विशाल 'सुपर बाजार' बन गया है, जहां चूड़ा-दही से लेकर फर्नीचर तक सब कुछ मिल रहा है। मेले की सुरक्षा के लिए सशस्त्र सीमा बल (SSB) के जवानों को तैनात किया गया है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
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सोनपुर मेला 2025। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, नयागांव (सारण)। एशिया प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला एक बार फिर अपनी रंगीन छटा बिखेर रहा है। इस ऐतिहासिक मेले में परंपरा, संस्कृति और व्यापार का ऐसा संगम देखने को मिलता है, जो किसी आधुनिक ‘सुपर बाजार’ से कम नहीं। यहां गांव की मिट्टी की खुशबू और शहर की रौनक एक साथ महसूस होती है।
सदियों पुराना यह मेला अब केवल पशु व्यापार तक सीमित नहीं रहा। आज यह ग्रामीण जीवन की हर जरूरत का केंद्र बन चुका है। सुई-धागे से लेकर फर्नीचर तक, मिट्टी के खिलौनों से लेकर आधुनिक कृषि औजारों तक, सब कुछ एक ही छत के नीचे उपलब्ध है। यही कारण है कि लोग इसे अब “गांव का मॉल” भी कहने लगे हैं।
जहां कभी हाथियों की खरीद-फरोख्त हुआ करती थी, वहीं अब लकड़ी के फर्नीचर, सजावटी सामान, पारंपरिक गहने और हस्तशिल्प से सजे स्टॉल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के कारीगर अपनी कलाकृतियों के माध्यम से भारतीय विविधता की झलक पेश कर रहे हैं।
धार्मिकता और संस्कृति का मेल
सोनपुर मेला न केवल व्यापार का केंद्र है, बल्कि आस्था और संस्कृति का भी प्रतीक है। यहां पूजा-सामग्री, धार्मिक ग्रंथ और जड़ी-बूटियों की दुकानें श्रद्धालुओं की भीड़ को अपनी ओर खींचती हैं। हर दुकान पर लोक परंपरा की झलक देखने को मिलती है, चाहे वह मिट्टी की मूर्तियों में हो या लकड़ी के हस्तशिल्प में।
खान-पान का स्वर्ग
मेला घूमते हुए अगर भूख लगे तो हर कदम पर स्वाद का संसार तैयार है। लिट्टी-चोखा, चूड़ा-दही, खाजा और मालपुआ जैसे व्यंजन लोगों की पसंद बने हुए हैं। मिठाई और चाट के ठेले पर जुटी भीड़ मेले की रौनक को और बढ़ा देती है। मनोरंजन प्रेमियों के लिए भी सोनपुर मेला किसी उत्सव से कम नहीं।
पारंपरिक लोकनृत्य, नाटक, जादू शो और सर्कस जैसे कार्यक्रम दिनभर आने वाले लोगों को बांधे रखते हैं। वहीं युवाओं के लिए झूले और एडवेंचर राइड्स नई रोमांचक अनुभूति देते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
सोनपुर मेला सिर्फ परंपरा का प्रतीक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार भी है। हजारों छोटे व्यापारी, कारीगर और हस्तशिल्पी यहां अपनी जीविका का साधन पाते हैं। यह मेला स्थानीय उत्पादों को देशभर के बाजार तक पहुंचाने का माध्यम बन चुका है। हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला सचमुच वह जगह है जहां भारत की असली आत्मा दिखाई देती है। एक ऐसी धरती, जहां परंपरा और प्रगति साथ-साथ चलती हैं।
सोनपुर मेला में सशस्त्र सीमा बल की सतर्क तैनाती
एशिया विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला इस वर्ष आस्था के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से भी चर्चा में है। मेले में इस बार सशस्त्र सीमा बल , सीमांत मुख्यालय पटना की ओर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित बचाव दल की विशेष तैनाती की गई है।
यह पहल विभागीय आईजी निशित कुमार उज्जवल, आईपीएस के निर्देशन में की गई है। एसएसबी ने पहली बार मेले के दीपोत्सव घाट पर अपने छह सदस्यीय रेस्क्यू दल को आधुनिक उपकरणों और दो विशेष नावों के साथ तैनात किया है, जो किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत राहत कार्य में जुट जाएगा।
लाखों श्रद्धालु करते हैं स्नान
एसएसबी के एक अधिकारी ने बताया कि हर वर्ष लाखों श्रद्धालु काली घाट पर स्नान कर बाबा हरिहर नाथ का दर्शन करते हैं, वहीं बड़ी संख्या में युवा पर्यटक नदी में बोटिंग का आनंद लेते हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए बचाव दल की तैनाती बेहद महत्वपूर्ण कदम है।
एसएसबी का मुख्य कैम्प मुख्य पंडाल के समीप स्थापित किया गया है, जहां से मेला क्षेत्र की गतिविधियों पर सतत निगरानी रखी जा रही है। साथ ही, जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।
धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान रखने वाला हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला इस बार सेवा, सुरक्षा और सौहार्द का प्रतीक बन गया है। एसएसबी की सक्रिय भागीदारी ने इस पारंपरिक मेले को और अधिक सुदृढ़ एवं सुरक्षित बना दिया है।

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