तरैया, राणा प्रताप सिंह: शनिवार की रात्रि में तेज मेघ गर्जन के साथ झमाझम बारिश भी हुई। बारिश कब छूटे इसके इंतजार में रात के 11.30 बजे गए। जैसे ही बारिश छूटी कि रात का रिपोर्टर बन तरैया जागरण प्रतिनिधि तरैया रेफरल अस्पताल के परिसर में रात 11.45 बजे पहुंचे।

अस्पताल का नजारा बिल्कुल अलग था। चारो तरफ सन्नाटा पसरा था। वहां सुरक्षा व्यवस्था के साथ चिकित्सीय व्यवस्था भी राम भरोसे नजर आया। रात्रि में अस्पताल के चिकित्सक, नर्सिंग आफिसर, दो एएनएम व एक गार्ड कुंभकर्णी नींद में मिले। सिर्फ एक कुत्ता घूमते हुए नजर आया।

अस्पताल के बाहर हल्का अंधेरा था। वहीं अस्पताल अंदर से जगमगा रहा था। जैसे ही गेट पर पहुंचे तो हल्का गेट खुला मिला। वहां एक लावारिस कुत्ता रखवाली करते नजर आया। उस समय रात के 11.45 बज रहे थे।

अंदर दाखिल होते ही सन्नाटा पसरा हुआ मिला। आवाज दी..कोई है। इस पर कोई जवाब नहीं मिला। जब गेट के पास रूम के नजदीक गया तो भुनभुनाने की आवाज आई। लगा कि कोई रूम में है।

आवाज लगाई तो एक महाशय कान में हेडफोन लगाए बाहर निकले। उस समय रात के 11. 50 बज रहे थे। उन्होंने अपना नाम नर्सिंग ऑफिसर प्रियांशु कुमार बताया।

जब उनसे पूछा गया कि गार्ड कहां है तो बगल के रूम के तरफ इशारा किए। देखे कि अस्पताल के गार्ड कंबल तान कुंभकर्णी नींद में है। उन्हें जगाना मुनासिब नहीं समझा। उस समय रात के 11.52 बजे रहे थे।

चिकित्सक के बारे में जब नर्सिंग आफिसर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डा रोहित कुमार ऊपर सोए हुए है। सीढ़ी चढ़ पहली मंजिल पर गए तो देखे की आपातकालीन चिकित्सक कक्ष अंदर से बंद है। उस समय रात के 11.55 बज रहे थे, फिर उल्टे पांव लौट नीचे आ गया।

नर्स के बारे में पूछा तो बताए कि प्रसूति विभाग से जरूरत पड़ने पर एएनएम आ जाती है। जब प्रसूति विभाग में 11.57 बजे पहुंचे तो देखे कि परिचायिका ड्यूटी कक्ष अंदर से बंद है। वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है।

आवाज देने पर एएनएम शोभा कुमारी व नीतू कुमारी जैसे तैसे अपने को संभालती बाहर निकली। पूछने पर बताई कि एक भी प्रसव पीड़ित महिला भर्ती नहीं है। उस समय रात के 12 बज रहे थे।

जागरण पड़ताल में रात्रि में अस्पताल के चिकित्सक, नर्सिंग ऑफिसर, दो एएनएम व एक गार्ड खुंभकर्णी नींद में मिले। इनको छोड़ सिर्फ एक कुत्ता रखवाली व अस्पताल के अंदर घूमते मिला।

वहीं, अस्पताल परिसर में बने रास्ते टूटे हुए थे। वहां जगह जगह बारिश का पानी भरा हुआ मिला। उससे रात्रि में कोई भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या अस्पताल की चौकसी व चिकित्सा प्रणाली एक कुत्ते के भरोसे चल रहा है। सुरक्षा व्यवस्था के साथ चिकित्सीय व्यवस्था भी राम भरोसे ये कहना शायद ठीक रहेगा। बहरहाल अब देखना है कि अस्पताल की व्यवस्था कैसे और कब सुदृढ़ होती है।

Edited By: Prateek Jain