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तेल नदी में दो दर्जन से अधिक जगहों पर पानी रोकने से बर्बाद हो रही धान की फसल

तेल नदी में मछली पकड़ने के लिए दो दर्जन से अधिक जगहों पर चिलवन लगाकर पानी रोके जाने से धान की फसल बर्बाद हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:44 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:06 AM (IST)
तेल नदी में दो दर्जन से अधिक जगहों पर पानी रोकने से बर्बाद हो रही धान की फसल
तेल नदी में दो दर्जन से अधिक जगहों पर पानी रोकने से बर्बाद हो रही धान की फसल

छपरा, जलालपुर। तेल नदी में मछली पकड़ने के लिए दो दर्जन से अधिक जगहों पर चिलवन लगाकर पानी रोके जाने से किसान परेशान हैं। लगभग हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल तैयार हो गई है, लेकिन बीच-बीच में नदी में पानी रोकने से खेतों में अभी दो फीट पानी जमा हुआ है। पानी तेल नदी से होकर सरयू नदी में गिरता है, लेकिन पानी को चिलवन लगाकर रोक दिए जाने से खेतों में फैल गया है। इस कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है।

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प्लास्टिक को बांस बल्ले में बांधकर नदी का प्रवाह रोक दिया गया है। पानी को रोककर मछली मारने की यह बहुत पुरानी परंपरा है। पहले बांस के फठ्ठे से चिलवन बनाया जाता था। इससे पानी नहीं रूकता था, लेकिन प्लास्टिक के चिलवन के कारण पानी का निकासी नहीं हो रहा है। जिला प्रशासन के निर्देश पर सीओ की मौजूदगी में पुलिस चिलवन हटाती, लेकिन पुलिस वालों के जाते ही मछली पकड़ने वाले लोग इसे लगा दे रहे हैं। रात में 8 बजे के करीब चिलवन लगा कर सुबह में हटा दिया जाता है।

किसानों के आग्रह पर एक सप्ताह पहले डीएम सुब्रत कुमार सेन ने जलालपुर सीओ को निर्देश देकर चिलवन हटवाया था। जलालपुर से अधिक चिलवन रिविलगंज प्रखंड क्षेत्र में लगाया गया है।


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