करोड़ों खर्च के बाद भी छपरा-हाजीपुर एनएच का निर्माण अधूरा
छपरा-हाजीपुर नेशनल हाईवे के फोर लेन में तब्दील होने का सारण के लोगों का सपना अब तक अधूरा है। भूमि अधिग्रहण में बिलंब होने व अधिग्रहित जमीन पर कब्जा होने से निर्माण में बाधा आ रही है।
जागरण संवाददाता, छपरा: छपरा-हाजीपुर नेशनल हाईवे के फोर लेन में तब्दील होने का सारण के लोग 13 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। उनके इंतजार का अब इम्तेहान हो रहा है। वहीं केंद सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। 66 किलोमीटर लंबी सड़क को फोरलेन बनाने की योजना 2008-09 में बनी थी। डीपीआर तैयार होने के बाद हैदराबाद की एजेंसी को काम दे दिया गया। 2009 के अंत में काम शुरू भी हो गया। उस वक्त इस एनएच के निर्माण की लागत 387 करोड़ आंकी गयी थी। इस पथ का निर्माण 2014 तक पूरा कर लेना था, लेकिन अबतक निर्माण कार्य अधूरा है। जमीन पर कब्जा आड़े आ रहा है। अब लागत खर्च भी बढ़कर छह सौ करोड़ से अधिक हो गया है।
सड़क निर्माण कराने वाले जानकारों की मानें तो समय पर काम पूरा हो गया होता, तो प्रस्तावित राशि में ही काम हो जाता। अनावश्यक विलंब की वजह से लागत व्यय बढ़कर छह सौ करोड़ से अधिक हो गया है। प्रारंभिक लागत व्यय से 213 करोड अधिक सरकारी राशि खर्च होने के बावजूद इस सड़क का निर्माण अधूरा है।
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भूमि अधिग्रहण नहीं होने व कब्जे से निर्माण में विलंब
एनएच 19 के निर्माण में विलंब का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण में विलंब और अधिग्रहित भूमि पर कब्जा माना जा रहा है। स्वयंसेवी संस्था वेटर फोरम फार ट्रासपरेंसी के दायर नेशनल ग्रीन ट्रव्यूनल इस्टर्न जोन बेंच पश्चिम बंगाल में याचिका की सुनावई में आए तथ्य तो यही कहते है। नेशल हाईवे आथोरिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने निर्माण में विलंब का मुख्य कारण कोर्ट को यही बताया है। अब कोर्ट ने डीएम व जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर शपथ पत्र देकर जवाब देने को कहा है। हालांकि जिला प्रशासन ने हाल के दिनों में भू-अर्जन का काम पूरा करने के साथ भूमि कब्जा मुक्त करा लिया है।
प्रोजेक्ट पूरा करने को अभी सौ करोड़ की जरूरत
एनएच 19 निर्माण प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अभी भारी-भरकम रकम की जरूरत है। सड़क निर्माण पूरा करने के लिए एजेंसी को अभी 28 करोड़ रुपए स्वयं खर्च करनी है। केन्द्र सरकार से निर्माण एजेंसी को 16 करोड़ मिलने हैं। यह राशि उसे बैंक लोन के रूप में मिलनी है। अभी सड़क निर्माण का जितना काम बाकी है, उसे पूरा करने में लगभग सौ करोड़ रुपए लगेंगे। सरकार की सहायता और बैंक लोन मिलने के बाद भी एजेंसी को काम पूरा करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपए और चाहिए। लेकिन एजेंसी अपना एक पैसा भी खर्च करने को तैयार नहीं। ऐसे में इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा होना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है।
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भूमि अधिग्रहण का कोई मामला पेंडिग नहीं है। जहां अतिक्रमण था, उसे भी हटा दिया गया है। एनएचआइ गलत बयानी कर रहा है। सच तो यह है कि वह सड़क निर्माण का काम ही नहीं करना चाहता।
रजनीश कुमार, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, सारण
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- 213 करोड़ की सरकारी राशि बच सकती थी नियत समय पर निर्माण होने से
- 387 करोड़ आंकी गयी थी एनएच 19 निमार्ण के प्रारंभ में लागत
- 600 करोड़ से अधिक लागत हो गई, अब इस सड़क के निर्माण की
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