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बिहार में जिला परिषद अध्यक्ष के जेठ की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या, विरोध में रोड जाम

छपरा में जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण के जेठ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान अर्जुन सिंह के रूप में हुई है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 09:52 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 10:37 AM (IST)
बिहार में जिला परिषद अध्यक्ष के जेठ की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या, विरोध में रोड जाम

सारण, जेएनएन। छपरा में रविवार की सुबह-सुबह गोलियां तड़तड़ाने से सनसनी मच गई। जिले के मढ़ौरा थाना क्षेत्र के मरहौरा रेलवे स्टेशन के समीप जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण के जेठ अर्जुन सिंह (55) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाइक सवार दो अपराधी वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए। जानकारी होने पर पुलिस छानबीन करने के लिए पहुंच गई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वारदात के बाद से मढ़ौरा बाजार की दुकानें बंद कर दी गई हैं। आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर मढ़ौरा-छपरा सड़क मार्ग पर आवागमन बाधित कर दिया है।

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अस्पताल में तोड़ा दम

बताया जाता है कि आवारी गांव निवासी तथा जिला परिषद अध्यक्ष के जेठ अर्जुन सिंह अपने घर से मढ़ौरा बाजार बाइक से जा रहे थे। इसी दौरान आवारी रेलवे क्रॉसिंग के पास पहले से घात लगाकर बैठे बाइक सवार अपराधियों ने उन्हें गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायल अवस्था में आसपास के लोग इलाज के लिए उन्हें लेकर रेफरल अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने अर्जुन को मृत घोषित कर दिया। खबर मिलते ही इलाके में सनसनी फैल गई। मढ़ौरा बाजार को लोगों ने दुकानों को बंद करा दिया। आक्रोशित लोग थाने के समक्ष प्रदर्शन करने लगे।

हत्याकांड में जले में बंद है मृतक का पुत्र

बताते चलें कि 20 अगस्त 2019 को मढ़ौरा में एसआइटी के दारोगा मिथिलेश कुमार साह तथा सिपाही मोहम्मद फारुख हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त सुबोध कुमार सिंह अर्जुन सिंह का पुत्र है। जो अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। दारोगा हत्या के मामले में अर्जुन सिंह के भाई अरुण कुमार सिंह छपरा जेल में बंद हैं। जबकि दो दिन पहले अरुण कुमार सिंह की पत्नी जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण जमानत पर रिहा हुई है। हत्या की इस घटना को लेकर मढ़ौरा में करीब तीन दशक से जारी वर्चस्व की लड़ाई का हिस्सा माना जा रहा है।

वर्चस्व में जा चुकी है एक दर्जन की जान

मुख्य रूप से यहां राजनीतिक संरक्षण प्राप्त दो मुख्य जाति के अपराधियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई 2000 के दशक से चली आ रही है। इस लड़ाई में अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और इससे जुड़े कई मुकदमें आज भी लंबित है। ऐसा माना जा रहा है कि वर्चस्व की लड़ाई में यह घटना हुई है। फिलहाल पुलिस इस मामले में कुछ भी बताने से इन्कार कर रही है। हत्या के बाद उत्पन्न तनाव तथा आक्रोश को नियंत्रित करने में प्रशिक्षु आइपीएस सह थानाध्यक्ष संदीप सिंह समेत अन्य पुलिस पदाधिकारी जुटे हुए हैं।


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