शहर में झूल रहे यमराज रूपी जर्जर विद्युत तार
छपरा। विद्युत विभाग द्वारा जर्जर विद्युत पोलों एवं तारों हो नहीं बदले जाने से शहरवासियों की जान सांस
छपरा। विद्युत विभाग द्वारा जर्जर विद्युत पोलों एवं तारों हो नहीं बदले जाने से शहरवासियों की जान सांसत में पड़ी हुई हैं। शहर के व्यस्ततम इलाकों में भी जर्जर तार यमराज की तरह झूल रहे हैं। पता नहीं कब किस मोहल्ले में यह जर्जर तार टूटकर गिरे और यमराज का बुलावा किसको आ जाए ,यह कहना काफी मुश्किल हैं। यह हाल सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र तक की हैं। लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी विभाग चेत नही रहा हैं। विद्युत विभाग द्वारा आज भी जर्जर विद्युत तारों के सहारे बिजली की सप्लाई की जा रही हैं। जबकि सरकारी स्कीम के अनुसार सभी नंगे विद्युत तारों को इंसुलेटेड वायर से बदला जाना हैं। लेकिन यह काम आज भी पूरा नहीं किया जा सका हैं। और तो और जर्जर विद्युत तारों के मध्य गैप मेंटेन करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई हैं। जिसके कारण आंधी तूफान के वक्त झूलते हुए तार एक दूसरे के संपर्क में आकर भी आग उगलते हुए टूटकर जमीन पर गिर जाते हैं। विभाग की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि नंगे तारों के नीचे गार्ड वायर नहीं लगाया गया हैं। अगर विभाग द्वारा जर्जर तारों के नीचे गार्ड वायर लगाया गया होता तो टूटने के बाद विद्युत तार इस गार्ड वायर में ही फंस कर रह जाता। बिजली विभाग के इस लापरवाही के कारण जनता को जान माल की क्षति उठानी पड़ती हैं। शहर में भवनों से काफी सट कर विद्युत तार गया हैं लेकिन कहीं भी प्लास्टिक का पाइप नही डाला गया हैं। विगत एक वर्ष में जिले से 5 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं। जिन्हें विभाग द्वारा 4-4 लाखों रुपए का मुआवजा दिया गया हैं। लेकिन जिन परिवार के बच्चों एवं कमाने वाले व्यक्ति की मौत हुई उस क्षति की पूर्ति कर पाना संभव नहीं हैं। वर्जन
क्या कहते हैं अधीक्षण अभियंता
अधीक्षण अभियंता गौरव कुमार ने बताया कि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक के सभी जर्जर तारों को बदला जा रहा हैं। इस वर्ष के दिसंबर महीने तक सभी जर्जर तारों को इंसुलेटेड वायर से बदल दिया जाएगा। काम काफी तेजी से चल रहा हैं।