आंवला के पेड़ के नीचे की गई पूजा-अर्चना
फोटो 16 सीपीआर धर्म-कर्म : -आंवला पेड़ की पूजा कर की सुख -समृद्धि की कामना -गंगा स्नान को ले नदी घाटों पर उमड़ी भीड़ जागरण संवाददाता, छपरा : कार्मिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी यानि शुक्रवार को अक्षय नवमी(आंवला नवमी) मनाई गई। अक्षय नवमी के दिन श्रद्धालु महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की। सूर्योदय के साथ मंदिर एवं अन्य स्थानों पर महिलाओं ने आंवला पेड़ की पूजा की। अक्षय नवमी को गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व होता है। महिलाएं गंगा स्नान के बाद आंवला वृक्ष की पूजा कर परिवार के सुख -समृद्धि की कामना की। महिलाएं आंवले के तने की कपूर और घी की दीपक जलाकर पूजा की और ब्रह्ममण से कथा का श्रवण किया। आंवला के पेड़ की ग्यारह एवं एक सौ आठ बार पीला धागा लगाकर परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की।
जागरण संवाददाता, छपरा : कार्मिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी यानि शुक्रवार को श्रद्धापूर्वक अक्षय नवमी (आंवला नवमी) मनाई गई। बड़ी संख्या में महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की। सूर्योदय के साथ मंदिर एवं अन्य स्थानों पर महिलाओं ने आंवला पेड़ की पूजा की। अक्षय नवमी को गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व होता है। गंगा स्नान के बाद आंवला वृक्ष की पूजा कर महिलाओं परिवार के सुख -समृद्धि की कामना की। आंवला के पेड़ की ग्यारह एवं एक सौ आठ बार पीला धागा लगाकर परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण, दान का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन के पेड़ के नीचे बैठ कर भोजन करने से रोग का नाश होता है। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने सबसे पहले पृथ्वी लोक के भ्रमण के दौरान भोजन किया। एक और मान्यता है कि अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानि नवयौवन प्राप्त हुआ था। पंडित संपत कुमार मिश्र एवं अनित शुक्ल ने बताया कि अक्षय नवमी के दिन कोई भी कार्य करने पर उसका क्षय नहीं होता है। इस दिन जो भी पुण्य किया जाता है उसका फल कई जन्मों तक समाप्त नहीं होता है। अक्षय नवमी को किसी गरीब को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दे एवं भूखे को भोजन अवश्य कराना चाहिए।