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जिसके मन में परोपकार की भावना, उनके जीवन में कुछ भी दुर्लभ नहीं : आचार्य हेमचंद्र

विद्यापतिनगर प्रखंड के मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रहे चौथे वार्षिकोत्सव सह श्रीरामचरित मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर तीसरे दिन सोमवार को आयोजित रामकथा के दौरान वृंदावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने कहा कि गंगा ज्ञान का प्रतीक है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 01:08 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 01:08 AM (IST)
जिसके मन में परोपकार की भावना, उनके जीवन में कुछ भी दुर्लभ नहीं : आचार्य हेमचंद्र
जिसके मन में परोपकार की भावना, उनके जीवन में कुछ भी दुर्लभ नहीं : आचार्य हेमचंद्र

समस्तीपुर । विद्यापतिनगर प्रखंड के मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रहे चौथे वार्षिकोत्सव सह श्रीरामचरित मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर तीसरे दिन सोमवार को आयोजित रामकथा के दौरान वृंदावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने कहा कि गंगा ज्ञान का प्रतीक है। जिसके सिर पर ज्ञान गंगा हो, विषपान भी वही कर सकते हैं। भगवान शिव समुद्र से निकले विष की ज्वाला पान कर संसार को भष्म होने से बचा लिया और स्वयं नीलकंठ बन गए। जिनके मन में परोपकार की भावना होती है, उनके जीवन में कुछ भी दुर्लभ नहीं होता। सच्चा इंसान भी वही कहलाता हैं। उन्होंने कहा कि गंगाधर शिव ने रामकथा गंगा संसार के कल्याण के लिए ही पार्वती को सुनाया। उन्होंने सूर्यवंश में लेने वाले अवतार के रूप में श्रीराम की कथा से पूर्व सूर्यवंश के इतिहास का वर्णन किया है। सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु से ही सूर्यवंश प्रारम्भ होता है। राजा इच्छांकु ही सरयू के किनारे अयोध्या नगर बसाकर सूर्यवंशियों की राजधानी कायम की। इस वंश में एक से एक प्रतापी महाराजा हुए जिन्होंने विश्व में कृतिमान स्थापित किया। इसी वंश के सगर के चौथे पीढ़ी में राजा भगीरथ ने कठोर तप कर गंगा को धरती पर लाया था। उन्होंने राजा दिलीप की गौ सेवा का वर्णन करते हुए बताया कि गाय किसी पशु का नाम नही। हमारे शास्त्रों में गाय को ऋशिवंश बताया गया है। गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है एवं बिना गाय के सहयोग से कोई भी यज्ञ सम्पन्न नही हो सकता। गाय का दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर से ही पंचामृत एवं पंचगव्य बनाए जाते है जिस से यज्ञ सम्पन्न होता है इसीलिए तो गौ माता कहलाती हैं। इधर, दूसरे सत्र में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान झांसी से पधारी साध्वी मंजू लता देवी ने भागवत गीता को संस्कृति का संवाहक बताते हुए इनके मर्म को जीवन में उतारने की अपील की। मौके पर मंदिर के महंत सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास उर्फ पंडित विनोद झा, नवीन कुमार सिंह, राजेश जायसवाल, राजदेव राय, अमरनाथ सिंह मुन्ना, गणेश साह, रामकुमार चौधरी आदि मौजूद रहे।

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