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महान संत कबीर की वाणी आज भी प्रासंगिक

महान संत कबीर की वाणी आज भी प्रासंगिक है। यह समाज और राष्ट्र के लिए एक सच्चे पथ प्रदर्शक के रूप में संग्रहित है। उक्त बातें जयंतीपुर से पधारे आचार्य राम दास साहेब ने कहीं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:26 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 11:26 PM (IST)
महान संत कबीर की वाणी आज भी प्रासंगिक

समस्तीपुर। महान संत कबीर की वाणी आज भी प्रासंगिक है। यह समाज और राष्ट्र के लिए एक सच्चे पथ प्रदर्शक के रूप में संग्रहित है। उक्त बातें जयंतीपुर से पधारे आचार्य राम दास साहेब ने कहीं। शहर के महादेव मठ स्थित संत कबीर आश्रम के तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय 43वां आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव का दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पण के साथ विधिवत उद्घाटन किया गया। उन्होंने कबीर साहब को आजीवन विश्व कल्याण के लिए भ्रमणशील रहकर लोगों में शांति सछ्वाव का संदेश देते रहना बताया। वहीं, अध्यक्षता करते हुए मुजफ्फरपुर के आचार्य रीतलाल साहेब ने संत कबीर को महामानव की संज्ञा देते हुए कहा कि उन्होंने सभी धर्म और संप्रदाय को एक सूत्रों में बांधने का प्रयास किया। आज भी उनका यह संदेश परिवार, समाज और राष्ट्र के साथ-साथ विश्व हित में अत्यंत ही कल्याणकारी साबित होगा। महोत्सव के संयोजक संत कबीर आश्रम ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य महंत डॉ विद्यानंद शास्त्री ने रामजीवन साहब को कबीर का सच्चा अनुयायी तथा क्षेत्र में कबीर पंथ को स्थापित करने में अहम भूमिका बताते हुए उनके जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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कबीर की वाणी के प्रासंगिकता पर चर्चा

गुजरात से आए महंत योगी दास एवं भागवत दास ने कबीर की वाणी के प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत के साथ-साथ विदेशों में भी कबीर वाणी पर शोध जारी है। इसके अलावा राधाकांत मुखिया, भोला साहेब आदि ने भी अपना विचार रखा। कपिल साहेब, रामरति दास एवं रामदेव साहेब द्वारा संयुक्त रूप से स्वागत गान के साथ प्रारंभ हुए महोत्सव में पधारे अतिथियों का स्वागत आश्रम के सचिव पुरुषोत्तम कुमार ने किया। जबकि, मंच संचालन प्रो. उत्तम चंद्र दास एवं रतन बिहारी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

संत कबीर रामजीवन मुशाय नायक महिला महाविद्यालय परिसर में आयोजित दो दिवसीय महोत्सव के प्रथम दिन हजारों कबीर के अनुयायी शामिल थे। परिसर में सजी कंठी माला, चंदन, प्रसाद व पूजन सामग्री के आलावा कबीर वाणी से संबंधित पुस्तक की दुकानों पर भी कबीर भक्तों की भीड़ लगी थी।


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