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गीतकार राजमणि को दी गई श्रद्धांजलि

समस्तीपुर। शाहपुर पटोरी पर्वतों की ओट से कोई निशानी भेजना हो सके तो इस बरस झरने का पानी भेजना जैसे उच्च कोटि के गीतों के रचयिता और राष्ट्रीयस्तर के गीतकार राजमणि राय मणि की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 11:33 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 06:32 AM (IST)
गीतकार राजमणि को दी गई श्रद्धांजलि
गीतकार राजमणि को दी गई श्रद्धांजलि

समस्तीपुर। शाहपुर पटोरी, 'पर्वतों की ओट से कोई निशानी भेजना, हो सके तो इस बरस झरने का पानी भेजना' जैसे उच्च कोटि के गीतों के रचयिता और राष्ट्रीयस्तर के गीतकार राजमणि राय मणि की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रविवार की रात उनके धमौन स्थित आवास पर स्मृति पर्व का आयोजन किया गया। साथ ही इस महाकवि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा भी की गई। डॉ. ब्रह्मदेव प्रसाद कार्यी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. शैलेंद्र त्यागी ने किया। मुख्य अतिथि चांद मुसाफिर की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन ई.अवधेश कुमार सिंह ने किया। प्रो. गंगेश कुमार, नवनीत कुमार और मलय मुस्कान के संयोजकत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राम पुनीत ठाकुर, डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, ई.अजीत कुमार सिंह, प्रो. हरिनारायण सिंह हरि, परमानंद प्रभाकर, योगेंद्र प्रसाद सिंह और धर्मेंद्र प्रियदर्शी मौजूद थे। कार्यक्रम का प्रारंभ ज्ञान शंकर शर्मा के सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर कवि मणि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित पुस्तक 'विश्वास के वृत्त' का लोकार्पण भी किया गया। वक्ताओं ने कहा कि कवि राजमणि राय मणि पूरे क्षेत्र के साहित्यिक ध्रुवतारा थे जो साहित्यिक सृष्टि को सदैव आलोकित करते रहेंगे। इस अवसर पर एक सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। कवि सम्मेलन में ज्वाला सांध्यपुष्प, द्वारिका राय सुबोध, दुखित महतो'भक्तराज', प्रो. हरिनारायण सिंह हरि, दिनेश प्रसाद, डॉ ब्रह्मदेव कार्यी, शरदेंदु शरद, डॉ. पुनीत कुमार ठाकुर 'तरुण', अजीत कुमार सिंह, परमानंद प्रभाकर, शैलेंद्र त्यागी, अब्दुल मोबिन वाहिद, विद्यासागर ब्रह्मचारी, वशिष्ठ राय वशिष्ठ, चांद मुसाफिर आदि की रचनाओं ने देर रात तक श्रोताओं को बांधे रखा। मौके पर डॉ. दयानिधि प्रसाद राय, प्रो. शंकर प्रसाद राय, प्रो. शशिकांत राय सहित काफी संख्या में ग्रामीण, साहित्यकार और क्षेत्र के गण्यमान्य मौजूद थे।

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