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Samastipur News: अपनों का मिला साथ तो सपना हुआ साकार, शादी के 10 साल बाद रूबी बनी सब इंस्पेक्टर

वर्ष 2021 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग की परीक्षा पास कर जमुई में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी शादी 2011 में हुई थी। पति सास-ससुर के साथ आठ साल की बेटी और पांच साल के बेटे की जिम्मेदारी निभाते हुए रूबी ने लक्ष्य प्राप्त किया।

By Meera KumariEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2022 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 04:55 AM (IST)
Samastipur News: अपनों का मिला साथ तो सपना हुआ साकार, शादी के 10 साल बाद रूबी बनी सब इंस्पेक्टर
शादी के 10 साल बाद रूबी बनी सब-इंस्पेक्टर।

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। शादी के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारियों के बीच अक्सर महिलाओं के सपने अधूरे रह जाते हैं। गृहस्थी संभालने के लिए करियर से समझौता करना पड़ता है, लेकिन रोसड़ा की रूबी कुमारी ने शादी के दस साल बाद सब इंस्पेक्टर बन इस बात को साबित कर दिखाया है कि परिवार की जिम्मेदारियों के बीच अपने सपने भी पूरे किए जा सकते हैं। बस जज्बा होना चाहिए।

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वर्ष 2021 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग की परीक्षा पास कर जमुई में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी शादी 2011 में हुई थी। पति, सास-ससुर के साथ आठ साल की बेटी और पांच साल के बेटे की जिम्मेदारी निभाते हुए रूबी ने लक्ष्य प्राप्त किया। पति के साथ ससुराल वालों का साथ मिला तो उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर दिखाया। अभी वे राजगीर स्थित पुलिस एकेडमी में प्रशिक्षण ले रही हैं।

अपनों का मिला साथ तो सपना हुआ साकार

रूबी की शादी रोसड़ा के ढ़रहा गांव निवासी पर्यावरणविद सह शिक्षक राजेश कुमार सुमन से 20 जून, 2011 में हुई थी। रूबी के पिता बाबू प्रसाद महतो का सपना था कि वे देश की सेवा करें। ससुर रामचरित्र महतो और सास राम कुमारी देवी भी बहू को प्रशासनिक सेवा में जाने को प्रेरित करने लगे। उनकी प्रेरणा से रूबी परीक्षा की तैयारी में जुट गईं।

तैयारी के लिए कोचिंग ज्वाइन किया, लेकिन वहां अधिक दिनों तक नहीं जा सकीं। उसके बाद पति के निर्देशन में ही तैयारी शुरू किया। माता-पिता को अपना रोल माडल मानने वाली रूबी कहती हैं कि बचपन से ही मेरा वर्दी पहनने का सपना रहा है, जो अब पूरा हो गया। मेरा अगला लक्ष्य बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करना है।

रंग लाई कड़ी मेहनत

घर से चार किलोमीटर दूर स्टेडियम में रोज सुबह चार बजे पति के साथ पहुंच जाती थी। प्रैक्टिस कर घर लौटती तो बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी करतीं। उसके बाद घर गृहस्थि के काम में लग जाती थीं। बच्चों के स्कूल से लौटने के बाद खाना खिलाकर उन्हें भी पढ़ाती और समय निकाल कर खुद भी पढ़ती। शाम में भी प्रैक्टिस करने के बाद घर का काम निपटाती और सबके सोने के बाद आराम से पढ़ाई करती।


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