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सिचाई की सुविधा नहीं, आय दोगुनी करने की चल रही बात

एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात केंद्र और राज्य सरकार कर रही है वहीं दूसरी ओर किसानों को खेती के लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। जब तक किसानों को खाद बीज सिचाई की सुविधा आदि नहीं मिलती तब तक आमदनी दोगुनी करने की बात कल्पना मात्र ही रहेगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 12:17 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 12:17 AM (IST)
सिचाई की सुविधा नहीं, आय दोगुनी करने की चल रही बात
सिचाई की सुविधा नहीं, आय दोगुनी करने की चल रही बात

समस्तीपुर । एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात केंद्र और राज्य सरकार कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को खेती के लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। जब तक किसानों को खाद, बीज, सिचाई की सुविधा आदि नहीं मिलती तब तक आमदनी दोगुनी करने की बात कल्पना मात्र ही रहेगी। पिछले कुछ दिनों से तेज धूप होने लगी है। फरवरी महीने में जब इतनी तेज धूप हो रही है तो मई और जून में क्या हालत होगी, यह सोचा जा सकता है। ऐसे में बगैर सिचाई के कोई भी फसल संभव नहीं है। सिचाई की सरकारी व्यवस्था की बात करें तो जिले में कुल 437 नलकूप हैं। इसमें से महज 114 नलकूप ही चालू अवस्था में हैं। बाकी 323 नलकूप बंद पड़े हुए हैं। बंद पड़े नलकूपों की बात करें तो कोई तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ा है तो कोई बिजली व्यवस्था के अभाव में। कई नलकूप इसलिए भी बंद पड़े हैं कि बिजली विभाग ने बिल जमा नहीं करने के कारण लाइन काट दिया है। कोई नलकूप दो साल से बंद पड़े हुए हैं तो कोई चार साल से। कोई नलकूप दो महीने से ठप है तो कोई चार महीने से। ऐसे में किसानों को पूरी तरह निजी नलकूप या बोरिग पर ही आश्रित होना पड़ रहा है। डीजल के दाम छू रहे आसमान, कैसे होगी सिचाई

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सबसे अहम बात यह है कि जिले के अधिकांश क्षेत्रों के किसान आज भी बोरिग पंपसेट पर निर्भर हैं। उनकी सिचाई की व्यवस्था डीजल आधारित बोरिग पंपसेट से होती है। डीजल की कीमत 80 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई है। ऐसे में महंगी सिचाई व्यवस्था कर किसान कैसे खुशहाल हो सकते हैं। सरकार द्वारा किसानों को सिचाई के लिए बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है। सस्ते दर पर कृषि कार्य के लिए बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन, यह व्यवस्था होने में अभी लंबा वक्त लगेगा। जिले के लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंच गई या पहुंचने वाली है। लेकिन, खेतों तक बिजली की व्यवस्था करना सरकार के लिए इतना आसान नहीं है। कई जगहों पर खेतों तक बिजली पहुंच भी गई है तो विद्युत विभाग द्वारा कनेक्शन देने में लापरवाही बरती जा रही है। कई किसान कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। पंचायतों के जिम्मे है सरकारी नलकूपों का संचालन

राज्य सरकार ने सरकारी नलकूपों को पंचायतों के अधीन कर दिया है। नलकूप का मेंटनेंस हो या बिजली बिल जमा करना, यह सब काम अब मुखिया के जिम्मे है। कोई सरकारी नलकूप बंद है तो उसकी पूरी जिम्मेवारी मुखिया की है। राज्य सरकार सरकारी नलकूपों के संचालन व मेंटनेंस के लिए पंचायत को सीधे राशि भेजती है। मुखिया का काम है कि वह निर्धारित दर लेकर किसानों के खेतों में सिचाई की व्यवस्था मुहैया कराए। पटवन से होने वाली आय से ही ऑपरेटर का भुगतान किया जाएगा, जबकि बिजली बिल भी जमा किया जाना है। 31 नलकूपों की मरम्मत के लिए सरकार ने भेजी राशि

जिले के बंद पड़े 31 नलकूपों को चालू करने के लिए राज्य सरकार की ओर से राशि भेजी गई है। जिले को दो फेज में 1 करोड़, 74 लाख 80 हजार 565 रुपये मिले हैं। यह राशि तभी मुखिया के खाते में जाएगी जब वे उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को उपलब्ध करा देंगे। यदि उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को उपलब्ध नहीं कराते हैं तो यह राशि राज्य सरकार को लौट जाएगी। कहते हैं कार्यपालक अभियंता

लघु सिचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता दीपक कुमार कहते हैं कि सरकारी नलकूपों के संचालन की जिम्मेवारी पंचायतों को है। उसका मेंटनेंस पंचायत को ही करना है। राज्य सरकार के द्वारा मेंटनेंस समेत अन्य मद में राशि सीधे पंचायतों को भेजी जाती है। बहुत सारे मुखिया हैं जो मेंटनेंस की राशि लेने के बाद भी आज तक उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को नहीं उपलब्ध कराया है। जब तक उपयोगिता प्रमाण पत्र दे नहीं दिया जाता है तब तक वैसे पंचायत को यह राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है।


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