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अंतरात्मा को सैनिटाइज कर गईं पौराणिक कथाओं पर आधारित धारावाहिक

एक वर्ष हो गए। उस समय महामारी ने दस्तक दी थी। वातावरण के शुद्धिकरण के लिए सारे सरजाम उपलब्ध कराए गए। पूरा तंत्र सक्रिय भी हो गया। गली मोहल्ले को सैनिटाइज्ड कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 12:40 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 12:40 AM (IST)
अंतरात्मा को सैनिटाइज कर गईं पौराणिक कथाओं पर आधारित धारावाहिक

समस्तीपुर । एक वर्ष हो गए। उस समय महामारी ने दस्तक दी थी। वातावरण के शुद्धिकरण के लिए सारे सरजाम उपलब्ध कराए गए। पूरा तंत्र सक्रिय भी हो गया। गली मोहल्ले को सैनिटाइज्ड कर दिया गया। लोगों के शारीरिक सैनिटाइजेशन के अलावे मन और उसके अंत:करण के शुद्धिकरण का जिम्मा भी प्रसार विभाग ने उठा लिया। राम के आदर्श, श्री कृष्ण के संदेश और पौराणिक परंपराओं की आधुनिक मान्यताओं को और अधिक पुख्ता करने के लिए दशकों पुराने धारावाहिकों का प्रसारण भी शुरू कर दिया गया। नतीजा यह कि प्रतिदिन पांच बार साबुन से हाथ धोने वाले लोगों ने सुबह शाम प्रभु की भक्ति में लीन होकर मन की मैल को भी धो डाला। मनुष्य के अंदर और उसके बाहर चारों ओर स्वच्छता ही नजर आने लगी। प्रदूषण समाप्त हो गया, मन का भी और बाहर का भी। लॉकडाउन के प्रारंभिक चरण को लोग आज भी नहीं भूल पा रहे। रोजी-रोटी के चक्कर में अपने घर परिवार से दूर रह रहे लोगों ने एक कमरे में बैठकर इन धारावाहिकों का आनंद वैसे ही उठाया जैसे पूर्व में टेलीविजन कम रहने के बाद भी किसी मोहल्ले में एक साथ बैठकर देखा करते थे। उन बच्चों ने भी रामानंद सागर और बी आर चोपड़ा की कृति देखी जिनका जन्म उस समय नहीं हुआ था। दादा-दादी अपने पोते पोतियो संग बैठकर प्रभु श्री राम और भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों की गाथा सुनी और देखी, शबरी के जूठे बेर में प्रभु राम की आसक्ति देखी, जटायु के प्रति श्री राम की कर्तव्यनिष्ठा का अवलोकन किया, अत्याचार के विरुद्ध भीषण जंग देखा, सत्ता लोलुपता में बहते खून की नदियां देखीं, खून सने पाग को हटाने के लिए प्रतिबद्धता देखी, भक्ति में समर्पण की सीमाएं देखी, अपनी पौराणिक संस्कृति से वाकिफ हुए, रिश्तों की मर्यादा देखी, इतना ही नहीं बुरे कर्मों का प्रतिफल भी देखा। यह तो निश्चित है कि उसका एक फीसद अंश भी आत्मसात कर लें तो समाज में आदर्श की स्थापना में कोई संशय नहीं। पौराणिक संस्कृति को सहेजने के इस प्रयास पर लोगों ने अपना-अपना महत्वपूर्ण ²ष्टिकोण दिया। प्रभु श्री राम का जीवन ही संपूर्ण विश्व का आदर्श हो सकता है। भारत में लॉकडाउन के दौरान ऐसी धारावाहिकों के प्रसारण और भारतीय संस्कृति की खुशबू को फैलाने का विश्वस्तरीय प्रयास सचमुच भारत को विश्व गुरु बनने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। आज के युवाओं को पारंपरिक संस्कृतियों से परिचित कराने के इस अद्भुत पहल की जितनी भी सराहना की जाए कम है।

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- प्रो. ब्रह्मदेव झा हमारी पौराणिक मान्यताएं आज भी कितना सामयिक है, इसका नमूना पौराणिक कथाओं पर आधारित आधारित धारावाहिकों ने प्रस्तुत किया। पिछले लॉकडाउन के दौरान इसका प्रसारण एक सराहनीय कदम था।

प्रो. एएन दास तीन तीन पीढि़यों के लोगों ने एक साथ बैठकर इन आध्यात्मिक धारावाहिकों को देखकर पारिवारिक और सामाजिक आदर्शों को बनाए रखने का न सिर्फ संकल्प लिया बल्कि इन धारावाहिकों के प्रसारण से लोगों में एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव तथा जरूरतमंदों के लिए सेवा करने की ललक उत्पन्न हुई।

- जगन्नाथ चौधरी लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन नेशनल पर रामायण, महाभारत, श्रीकृष्णा जैसे चर्चित धारावाहिकों के पुन: प्रसारण ने भी उस दौर की सकारात्मक सामाजिकता का परिचय दिया। महाकाव्य आधारित इन धारावाहिकों की लोकप्रियता पुन: स्थापित हुई।

-प्रो. भूपेंद्र प्रसाद यादव


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