गलियां हो गई पक्की, मुख्य सड़क आज भी जर्जर
समस्तीपुर। रोसड़ा रोसड़ा शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित चकथात पश्चिम पंचायत का थतिया गांव पहुंचते ही पछुआ हवा में उड़ते धूल का झोंका लोगों के स्वागत के लिए तैयार रहता है।
समस्तीपुर। रोसड़ा, रोसड़ा शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित चकथात पश्चिम पंचायत का थतिया गांव पहुंचते ही पछुआ हवा में उड़ते धूल का झोंका लोगों के स्वागत के लिए तैयार रहता है। पांच वार्डों में बंटे गांव के मुख्य सड़क आज तक नहीं बन पाए हैं। विगत 5 वर्षों से निर्माण कार्य जारी है, लेकिन विभाग या माननीयों की उदासीनता के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। हालांकि पंचायत की योजनाओं से गांव की अधिकांश गलियां पक्की हो गई हैं ,लेकिन शुद्ध पेयजल का आज भी घोर अभाव है। गांव से गुजरते जर्जर पोल और तार यहां विकास को मुंह चिढ़ाते दिख रहा है। वहीं कृषि कार्य में लगे गरीब किसान अपनी उपेक्षा से नाराज दिख रहे हैं। करीब 4000 की आबादी वाले गांव में एकमात्र विद्यालय स्थित है। उच्च शिक्षा का घोर अभाव है। सरकार द्वारा गांव और किसान के विकास की चलाई गई धारा पूर्ण रूपेण यहां से नहीं जुड़ पाए है। सबसे बुरा हाल गांव के मुख्य सड़क का है। जो रोसड़ा, बेगूसराय पथ एसएस 55 से गांव को जोड़ती है। पीएमजीएसवाई योजना के तहत करीब 5 वर्ष पूर्व सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था। लेकिन आज तक उस सड़क पर कहीं धूल का नजारा तो कहीं टूटा-फूटा खरंजा नजर आता है। ग्रामीणों की मानें तो सरकार की योजनाएं गांव में निश्चित रूप से चली है। लेकिन आज भी कई योजनाएं धरातल पर उतर नहीं सकी है। आवास और शौचालय योजना की स्थिति बेहतर बताते हुए ग्रामीणों ने कहा कि शत प्रतिशत लोगों के पास अब शौचालय की व्यवस्था है। वहीं पचास से अधिक लोगों को अब तक आवास योजना का भी लाभ मिल चुका है। सरकार के सात निश्चय में शामिल नल जल योजना चालू नहीं होने से शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। गर्मी के मौसम में लगातार नीचे जा रहे जलस्तर के कारण चापाकल भी सूख रहे हैं। लोगों के समक्ष पेयजल की कठिनाई उत्पन्न हो गई है। विद्युत व्यवस्था पर नजर डाले तो अधिकांश घरों में कनेक्शन तो अवश्य दिया गया है लेकिन गांव से गुजरता जर्जर पोल और विद्युत तार हमेशा किसी दुर्घटना को ही आमंत्रण देता दिखता है।
आदर्श बनाने की ओर अग्रसर है युवा वर्ग
गांव के युवाओं की टोली थतिया को आदर्श गांव बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है। गांव के सभी घरों में शौचालय का निर्माण कराना अपने स्तर से पूरे गांव की साफ सफाई कराना नियति सी बनी हुई है। लेकिन इसके लिए माननीयों का सहयोग नहीं मिलने का दर्द स्पष्ट झलकता है। युवाओं ने अपनी मन की बात रखते हुए कहा वोट के बहिष्कार की इच्छा है लेकिन राष्ट्रीय पर्व रहने के कारण इसका विरोध नहीं करने का निर्णय लिया गया है।