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छह साल बाद भी खनुआं घाट पुल रह गया अधूरा

कहते हैं कि कार्य की अपनी गति होती है। कहीं सबकुछ तुरंत हो जाता है तो कहीं निर्धारित समय से काफी विलंब हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 12:01 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 12:01 AM (IST)
छह साल बाद भी खनुआं घाट पुल रह गया अधूरा
छह साल बाद भी खनुआं घाट पुल रह गया अधूरा

समस्तीपुर । कहते हैं कि कार्य की अपनी गति होती है। कहीं सबकुछ तुरंत हो जाता है तो कहीं निर्धारित समय से काफी विलंब हो जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति विद्यापतिनगर प्रखंड के दो पुलों की है। प्रखंड के खनुआं घाट स्थित बाया नदी पर पुल निर्माण कार्य शिलान्यास के छह साल बाद भी पूर्णता की बाट जोह रहा है। वहीं महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित बढ़ौना घाट पुल शिलान्यास के नौ माह में ही बनकर तैयार हो गया है। यह पुल अब अपने औपचारिक उद्घाटन की उम्मीद में प्रतीक्षारत है। गौरतलब हो कि दियारांचल इलाके को प्रखंड व जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली खनुआं घाट पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने की लोग आस लगाए बैठे हैं। 25 अक्टूबर 2013 को तत्कालीन मंत्री सह स्थानीय विधायक विजय कुमार चौधरी ने खनुआं घाट बायां नदी पर आरसीसी पुल निर्माण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन सांसद अश्वमेध देवी की उपस्थिति में किया गया था। 596 लाख की लागत से बनने वाली पुल की देख रेख कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल पटोरी के जिम्मे था। निर्माण कार्य एजेंसी संवेदक आरबी भारती एंड सन्स को 7 दिसंबर 2014 को निर्माण कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया गया था। बावजूद कार्य समाप्ति के छह वर्ष बाद भी कार्य अधूरा है। खनुआं घाट पुल के संवेदक की कार्य में शिथिलता व कर्तव्यहीनता को लेकर विभागीय स्तर से फटकार लगाते हुए चेतावनी दी गई। लेकिन ढाक के तीन पात वाली बात साबित हुई।

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शिलान्यास होने से पुल निर्माण के पूर्ण होने की जगी थी आस बायां नदी में खनुआं घाट पर पुल निर्माण कार्य का शिलान्यास होने के साथ क्षेत्रवासियों के बीच पुल का सपना जल्द पूर्ण होने की आस जगी थी। लेकिन छह साल बाद भी पुल का निर्माण कार्य पूर्ण नही होने से दो प्रखंड विद्यापतिनगर और मोहिउदीननगर को जोड़ने वाली दर्जनों गांव ¨बद बोचहा, चमथा, पतसिया, भ¨सगपुर, नयाटोल, चकजोहरा, महमद्दीपुर, खनुआं बमौरा आदि गांव के लगभग 50 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित हो रही है। इतनी बड़ी आबादी को प्रखंड व जिला मुख्यालय तक जाने के लिए बीस से पच्चीस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। दूसरी ओर बायां नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता हैं। वर्षा व बाढ़ के दिनों में पानी बढ़ने पर पूर्व में कई बार नाव दुर्घटना में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। स्थानीय लोग कामेंद्र महतो, शिवजी महतो, सुरेश राय, पददुम ठाकुर, सरोज ¨सह, दिलीप ¨सह, सुरेश पासवान कहते हैं कि संवेदक व विभागीय उदासीनता के कारण आजतक इस पुल का निर्माण कार्य नही हो सका। पुल निर्माण पूर्ण नही होने से नदी के पार खेती करने एवं जिला मुख्यालय के लिए लंबी दूरी तय कर आना जाना होता है। जिससे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जबकि स्थानीय लोगों के बीच बढ़ौना घाट पुल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में होना उदाहरण बना है। कहते है कार्यपालक अभियंता

ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल पटोरी के कार्यपालक अभियंता आरके पोद्दार ने संवेदक पर एकरारनामा को रिसाइंड कर दिया गया है। नए सिरे से बचे हुए कार्य के लिये डीपीआर तैयार कर निविदा की प्रकिया शीघ्र प्रारंभ की जाएगी। निविदा पूर्ण होते ही पुल निर्माण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी।

बेनतीजा रहा आंदोलन

पुल निर्माण कार्य में विलंब को लेकर ग्रामीणों द्वारा किया गया धरना प्रदर्शन अब तक बेअसर रहा। कई बार आंदोलन की राह अख्तियार कर चुके ग्रामीणों की आवाज महज एक औपचारिकता बन कर रह गई। गत 28 दिसंबर को ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन सह सड़क जाम कर विभागीय अधिकारियों को मामले की गंभीरता को स्मारित करते हुए 4 फरवरी से सामूहिक अनशन व आत्मदाह की चेतावनी दी थी। लेकिन वह भी व्यवहारिक रूप से परिलक्षित नहीं हो सका।


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