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ओडीएफ की हकीकत से कोसों दूर शिउरा पंचायत

समस्तीपुर । यह है पटोरी प्रखंड की ओडीएफ घोषित पंच यह है पटोरी प्रखंड की ओडीएफ घोषित पंचायत शिउरा। पंचायत को समारोहपूर्वक ओडीएफ का प्रमाण पत्र भी मिला।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:48 PM (IST)
ओडीएफ की हकीकत से कोसों दूर शिउरा पंचायत
ओडीएफ की हकीकत से कोसों दूर शिउरा पंचायत

समस्तीपुर । यह है पटोरी प्रखंड की ओडीएफ घोषित पंचायत शिउरा। पंचायत को समारोहपूर्वक ओडीएफ का प्रमाण पत्र भी मिला। किंतु, यहां आधी आबादी आज भी खुले में शौच जाने को विवश है। 15 वार्ड वाले इस पंचायत के लगभग सभी वार्ड पूर्णत: ओडीएफ नहीं हैं। बावजूद इसे ओडीएफ घोषित कर दिया गया। कई वार्ड ऐसे हैं जहां 40 प्रतिशत और उससे अधिक लोग खुले में शौच जाते हैं। वाया नदी तथा पंचायत के खेत इसके प्रत्यक्ष गवाह हैं। इस पंचायत में कई दलित बस्ती हैं, जहां आज भी शौचालय नसीब नहीं। सबसे बुरा हाल वार्ड नं. 9 और 11 का है, जहां 40 प्रतिशत से अधिक लोग खुले में शौच जाते हैं। वार्ड नं. 3, 6 व 7 में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोग खुले में शौच करते हैं। अन्य वार्ड की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है। इस आंकड़े के बावजूद इसे ओडीएफ घोषित कर दिया जाना स्पष्ट बताता है कि कागजी आंकड़ें और धरातल पर सच में कितना फर्क है। दैनिक जागरण द्वारा चलाये जा रहे अभियान के तहत जब शिउरा पंचायत का जायजा लिया गया, तो कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। पूछे जाने पर अधिकांश लोगों ने बताया कि उनके पास पैसा है ही नहीं तो शौचालय कहां से बनवाएंगे। सरकार हमें शौचालय बनाने के बाद राशि उपलब्ध कराती है। बहुत लोगों ने कहा कि रहने के लिए जमीन है ही नहीं, शौचालय की कौन पूछता है। जबकि कुछ लोगों ने कहा कर्ज लेकर शौचालय तो बनवा लिया, किंतु आज तक उसका पैसा नहीं मिल सका है।

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कूड़ाघर बना है शौचालय, कहीं छत नहीं तो कहीं दरवाजे गायब

इस पंचायत में कुछ अजीब बातें भी देखने को मिलीं। कुछ लोगों द्वारा उनके शौचालय यह कहकर बनवाए गए कि राशि मिलने के बाद पैसा लेंगे। शौचालय की स्थिति ऐसी है कि निर्माण के बाद से उसका एक दिन भी उपयोग नहीं हो सका। कई जगह शौचालय में दरवाजे नहीं हैं तो कही टंकी काफी खराब बनाई गई है। अधिकांश शौचालयों में छत नहीं हैं। नतीजा यह है कि शौचालय कूड़ा घर बना हुआ है। शिउरा के वार्ड नं. 9 के रामबली सदा, देवेंद्र सदा, रामू सदा, बिफिया देवी, सुहगिया देवी, मदन सदा, वासुदेव सदा, लुखिया देवी के यहां ऐसे ही शौचालय का निर्माण कराया गया। इसी वार्ड के प्रेम ठाकुर, नरेश सदा, रंजीत सदा, कंचन सदा, छोटू सदा, होरिल सदा आदि के शौचालय नहीं बने। कई लोगों के शौचालय 5 माह पूर्व बनवा दिये गये वह तब से बेकार पड़ा है। वार्ड 11 में विनोद सदा, नन्हकी सदा, अशोक सदा, उदगार सदा के भी शौचालय नहीं हैं। वहीं इसी वार्ड के विंदेश्वर सदा, सुकेंद्र सदा, लड्डू सदा, रामलौलीन सदा, हरेकिशुन सदा, राजकुमार सदा, रमण सदा, मुनेश्वर सदा, उपेन्द्र सदा के पास शौचालय बनवाने के लिए पैसे नहीं हैं। ज्ञात हो कि शौचालय बनवाने के बाद सरकार की तरफ से 12 हजार रूपये की राशि दी जाती है। इस संबंध में कई लोगों ने यह भी बताया कि एक मीटर नीचे गड्ढ़ा बनाकर शौचालय का निर्माण कराना, यह स्थायी समाधान नहीं है तो फिर क्यों ऐसा शौचालय बनाएंगे। क्या कहते हैं लोग

पैसे के अभाव में शौचालय का निर्माण नहीं करवा सका। यदि राशि पहले ही उपलब्ध करा दी जाती तो शायद शौचालय बन जाता। पेट भरने के लिए दिन-रात परिश्रम करने के बावजूद पैसा बचता ही नहीं कि शौचालय बनवाया जा सके। - मदन सदा रहने के लिए जमीन ही नहीं है। ऐसी हालत में शौचालय बनवाना एक बड़ी समस्या है। काफी इच्छा है कि अन्य लोगों की तरह घर में ही शौचालय होता, किंतु यह नसीब ही नहीं।

लक्ष्मी सदा पंचायत के कुछ लोगों ने कई शौचालय यह कहकर बनवाए कि पैसा आने पर ले लेंगे। शौचालय इतना घटिया बना कि उसका उपयोग नहीं किया जा सकता। वासुदेव सदा, वार्ड 9

पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया किंतु, हकीकत यह है कि शौचालय नहीं रहने के कारण आधे लोगों को खुले में शौच जाना पड़ता है। लुखिया देवी

पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। यहां के 90 प्रतिशत लोग खुले में शौच नहीं करते। शेष बचे लोग भी अब शौचालय की व्यवस्था में जुट गये हैं। बचे लोग शौचालय निर्माण कराएं और पंचायत की ओर से उन्हें शीघ्र राशि उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। - जवाहर चौधरी, मुखिया

ओडीएफ का मतलब सिर्फ शौचालय निर्माण ही नहीं, बल्कि यह है कि लोग खुले में शौच न जाएं। इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया गया है। यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। शिउरा पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। इसमें किसी तरह शिकायत मिलती है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।

नवकंज कुमार, बीडीओ, पटोरी


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