सूबे में पचास हजार परिवार कर रहे मशरुम का उत्पादन : निदेशक
डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में सात दिवसीय मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण का आयोजन गुरुवार को किया गया।
समस्तीपुर । डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में सात दिवसीय मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण का आयोजन गुरुवार को किया गया। मौके पर विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ.मिथिलेश कुमार ने कहा कि बिहार में बहुत से परिवारों की जीविका का मुख्य आधार मशरूम व्यवसाय बनते जा रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग पचास हजार परिवार मशरूम उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण पाकर छोटे से लेकर बड़े स्तर तक इसका उत्पादन कर रहे हैं। उतर बिहार के कई जिलों में महिला मशरूम उत्पादक हैं, जो काफी चर्चित है। उन्होंने कहा कि घरेलू महिलाएं अन्य काम करते हुए भी मशरूम की खेती कर महीने में 5 से दस हजार रुपए तक आमदनी कर रही हैं। सूचना मिली है कि सैकड़ों महिलाएं इस वेबसाइट से जुड़कर अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में इसके प्रचार-प्रसार के कारण वहां के लोगों में मशरूम उत्पादन के प्रति बड़ी जागरुकता से वे काफी प्रसन्न हैं। इस क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी भी बढ रही है। निदेशक ने कहा कि यही युवा इस मशरूम को और आगे तक पहुंचा सकते हैं, क्योंकि इसका उपयोग खाने से लेकर जेब मजबूत करने तक की खासियत है। मौके पर आधार एवं मानविकी विभाग के निदेशक डॉ. हर्ष कुमार ने कहा कि मशरूम में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही बहुत कम समय में यह फसल तैयार होता है। किसान के जेब में पैसे होते हैं। पहले मशरूम का बाजार उपलब्ध नहीं था लेकिन अब मशरूम का डिमांड दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। शादी विवाह से लेकर होटलों एवं अपने उपयोग की खातिर भी मशरूम की तरफ अब लोगों का काफी रुझान बढ़ा है। मौके पर मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम ने प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम उत्पादन तकनीक से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए संस्थान के द्वारा किए गए कार्यों की विस्तार से चर्चा की।