सीसीटीवी फुटेज और टावर डंपिग के सहारे पुलिस, दूसरे दिन भी कोई सुराग नहीं
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के विशनपुर चौक स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की शाखा से हुई एक लाख 92 हजार 608 रुपये लूट में दूसरे दिन भी पुलिस किसी नतीज पर नहीं पहुंची है।
समस्तीपुर । मुफस्सिल थाना क्षेत्र के विशनपुर चौक स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की शाखा से हुई एक लाख 92 हजार 608 रुपये लूट में दूसरे दिन भी पुलिस किसी नतीज पर नहीं पहुंची है। न तो लूट की रकम मिली है और न लुटेरे का पता चल पाया है। पुलिस ले देकर सीसीटीवी फुटेज और टावर डंपिग के सहारे जांच में जुटी है। बुधवार को दरभंगा प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक अजिताभ कुमार ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और बैंक कर्मियों से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि अगर समय रहते बैंक कर्मी ने साहस दिखाया होता तो निश्चित तौर अपराधी पकड़े जाते। जिस वक्त यह घटना हुई, बैंक शाखा के अंदर एक महिला ऑफिस असिस्टेंट, होमगार्ड जवान और कुछ उपभोक्ता भी मौजूद थे। किसी ने शोर मचाना भी मुनासिब नहीं समझा। यहां तक की अलार्म की घंटी भी नहीं बजाई गई। लूट की वारदात को अंजाम देकर अपराधी आराम से भाग निकले। जबकि, घटनास्थल के आसपास लोगों की चहल पहल थी। दर्जनों दुकानें खुली थी और लोग मौजूद थे। जांच के क्रम में बैंक के अलार्म की घंटी भी नहीं बज पाई। आईजी ने पुलिस अधीक्षक को पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी कैमरे को खंगाला जा रहा है। अपराधियों की पहचान कर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। मंगलवार को दिनदहाड़े तीन सशस्त्र अपराधियों ने विशनपुर चौक स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की शाखा में कर्मियों को बंधक बनाकर 1 लाख 92 हजार 608 रुपये लूट की वारदात को अंजाम दिया। घटना के संबंध में आफिस असिस्टेंट अनीशा कुमारी के आवेदन पर मुफस्सिल थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जिसमें तीन अज्ञात को आरोपित किया है।
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बैंक प्रबंधक की कमी और सुरक्षा की चूक का फायदा उठा गया अपराधी
आए दिन बैंकों में चोरी और डकैती की घटनाओं के बाद भी बैंक प्रबंधक द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। महीनों पहले सभी बैंक अधिकारियों के साथ पुलिस ने बैठककर सायरन, सीसीटीवी, कैमरे, सुरक्षा गार्ड सहित अन्य सुरक्षा के उपाय किए जाने की सलाह दी थी। इसके बावजूद कई बैंकों में सुरक्षा मानकों की कमी दिख रही है। बैंक परिसर में स्थानीय पुलिस प्रशासन का नंबर भी अंकित नहीं है। शहर के आस पास करीब तीन दर्जन से अधिक बैंक शाखाएं हैं। इसमें कई स्थानों पर सुरक्षा मानकों की कमी दिख रही है। स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा सभी बैंक शाखाओं को चिन्हित किया जा रहा है। सुरक्षा मानकों की जांच की जाएगी।
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भगवान भरोसे बैंकों की सुरक्षा
कई बैंकों की सुरक्षा का जिम्मा ग्रामीण चौकीदारों को दे रखा गया है तो कहीं होमगार्ड जवानों ने सुरक्षा की कमान संभाल रखी है। कुछ जगहों पर सेवानिवृत सैनिकों एवं निजी सुरक्षा ऐजेंसियों को बैकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सुरक्षा की अनदेखी किस प्रकार की जाती है, इसको आसानी से समझा जा सकता है। अपराधी अत्याधुनिक हथियार से लैश होते हैं, जबकि सुरक्षा कर्मियों के पास पुरानी थ्री नॉट थ्री की रायफल या बंदूक होती है। बता दें कि शहर के आसपास तीन दर्जन से अधिक विभिन्न बैंक की शाखाएं हैं। लेकिन, सुरक्षा मानकों का ख्याल नही रखा जा रहा है।
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केवल औपचारिकता के लिए होती है गश्ती
बैंकों की सुरक्षा के लिए संबंधित थाना की गश्ती दल बैंकों की जांच करती है। पुलिस की यह गश्ती कहा जाए तो केवल औपचारिकता के तौर पर होती है। गश्ती दल के पदाधिकारी बैंक पहुंचते हैं रजिस्टर पर अपना नाम और समय लिखते हैं और चलते बनते हैं। गश्ती दल के पुलिसकर्मी बैंकों में रहने वाले ग्राहकों से न कोई पूछताछ करते हैं न बैंक प्रबंधन से सुरक्षा की जानकारी लेते हैं। बैंक का सीसीटीवी एवं सायरन खराब है या सही इसकी जानकारी तक नहीं लेते हैं। अगर गश्ती दल के पुलिस अधिकारी ऐसा करते तो शायद बैंकों का खराब पड़ा सीसीटीवी एवं सायरन सही हालत में होते।