बाबा जागेश्वरधाम की महिमा अपरंपार
प्रखंड के केवस निजामत गांव स्थित जागेश्वर धाम की महिमा अपरम्पार है। भक्तों की इनके प्रति अपार श्रद्धा है।
समस्तीपुर। प्रखंड के केवस निजामत गांव स्थित जागेश्वर धाम की महिमा अपरम्पार है। भक्तों की इनके प्रति अपार श्रद्धा है। मान्यता है कि इनके दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। बल्कि दर्शन मात्र से सारे दूख दुर हो जाते हैं। इनके प्रति श्रद्धा विश्वास और लोगों की पूर्ण आस्था का ही फल है कि सावन भर अपार भीड़ उमड़ती है। वैसे अन्य दिनों में भी काफी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन को आते हैं। समस्तीपुर रोसड़ा मुख्य पथ के लक्खी चौक से मात्र एक किलोमीटर तथा भगवानपुर देसुआ रेलवे स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित होने के कारण प्रखंड के बेलारी, समथु विशनपुर, मोरदीवा, छतौना, रेवाड़ी, अंगार, देसुआ, पतैली, गावपुर, आदि दर्जनों गांव के लोग पवित्र स्थल को देवभूमि नाम से पुकारते हैं। सावन में लोग झमटिया से गंगाजल लाकर भी बाबा को अर्पित करते हैं। इतिहास
बाबा जागेश्वर नाथ का इतिहास पौराणिक और काफी रोचक है। घनी आबादी वाला यह गांव 15वीं शताब्दी तक जंगलों से घिरा था। 1950 तक मंदिर ज्रगलो के बीच था। चर्चा है कि यह स्थान तेजस्वी यज्ञवल्क्य ऋषि की तपोस्थली थी। 15वीं शताब्दी तक यहां ऋषि के उत्तराधिकारी केशव ऋषि आश्रम की देखरेख में लगे रहे। इसके संरक्षक पालवंश के राजा थे। ब्रिटिश काल में संरक्षक पोखरैरा विर¨सहपुर के राजा हो गए। 16 वी शताब्दी में पूसा प्रखंड के महमदा निवासी स्व. मोती मिश्र शिव भक्त को बाबा ने स्वप्न दिया और उन्होंने यहां रहकर दीर्घ काल तक अराधना की और बाबा की दया से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद आबादी बढ़ती गई। अब यह धाम घनी आबादी वाले गांवों के बीच बाबा जागेश्वर धाम से मशहुर है।
फोटो : 9 एसएएम 04
जागेश्वरनाथ महादेव की अपने भक्तों पर विशेष कृपा रहती है। इसके कई उदाहरण है। जब काफी कष्ट में रहने वाला व्यक्ति भी इनकी अराधना से स्वस्थ्य और प्रसन्न हो चला है। सावण माह में तो यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
रविन्द्र कुमार, पूर्व मुखियाफोटो : 9 एसएएम 05
भाव के भूखे हैं बाबा जागेश्वरनाथ। यहां की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती है। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यदि सच्चे मन से कोई इनकी अराधना करता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
केदार पाण्डेय गिरिफोटो : 9 एसएएम 07
एक लोटा जल और बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं बाबा जागेश्वरनाथ। क्योंकि ये धन के नहीं भाव के भूखे हैं। सच्चे मन से की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती है।
गणेश गिरि, पुजारी