रेलवे जंक्शन पर मिनरल वाटर की बोतल में बिकता है नॉर्मल वाटर
जागरण संवाददाता। समस्तीपुर जंक्शन पर मिनरल वाटर की बोतल में जनरल वाटर की बिक्री हो रही है।
जागरण संवाददाता। समस्तीपुर जंक्शन पर मिनरल वाटर की बोतल में जनरल वाटर की बिक्री हो रही है। यात्रा के दौरान प्यास लगते ही यात्री मिनरल वाटर की बोतल खरीदते हैं और फिर पानी पीने के बाद फेंक देते हैं। उसी मिनरल बोतल को एकत्रित कर फिर से पानी पैक कर यात्रियों को बेचा जा रहा है। जगह-जगह फेंके रहने से यह जमीन और पर्यावरण के लिए भी खतरा बन जाता है। फिलहाल इस वेस्ट को डिस्पोज करने का रेलवे ने कोई इंतजाम नहीं किया है। दैनिक जागरण की टीम ने शनिवार को जंक्शन पर व्यवस्था की जांच की। स्टेशन पहुंचते ही देखा कि प्लेटफॉर्म संख्या-एक पर दोनों दिशा के अंतिम छोड़ पर पानी बोतल सील करने का खेल चल रहा था। जहां पर बाल्टी और बोरा में वाटर बोतल बेचा जा रहा था। यात्री एक बोतल पानी 15 रुपये में खरीद रहे थे। हसनपुर जाने के लिए यात्रा करने पहुंचे रामाशीष सिंह ने गले में पानी की एक घूंट उतारी तो उन्हें अहसास हुआ कि वह ठगे गए हैं। जिस कंपनी का उन्होंने पानी लिया था, वह फ्लेवर्ड होता है जबकि वह एकदम नॉर्मल पानी था। ढक्कन और उस पर लगे सील को ध्यान से देखा तो उन्हें सब समझ में आ चुका था। ट्रेन में प्रवेश कर यात्रियों से बेचा जाता वाटर बोतल
दरभंगा से नई दिल्ली के लिए परिचालित होने वाली बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस पहुंची। ट्रेन के बोगियों में अत्यधिक भीड़ के कारण प्रत्येक यात्री प्लेटफार्म पर आकर पानी नहीं ले सकते। पानी बेचने वाले बोगियों में आसानी से प्रवेश कर पानी बोतल बेचते हैं। प्यास से बेहाल यात्री बिना कुछ सोचे-समझे पानी खरीद लेता है। खुलेआम यह खेल दिन-रात चलता रहता है। स्टेशन पर घूमने वाले लड़के प्लेटफार्म तथा सर्कुलेटिग एरिया में फेंकी गयी खाली मिनरल वाटर की बोतलों को जमा करते हैं। इन्हें स्टेशन के अंदर कई जगह स्टोर करते हैं। स्टेशन पर मौजूद नलों और वाटर कूलर से हल्की सफाई के बाद पानी भरते हैं। इसके बाद ट्रांसपैरेंट टेप चिपका देते हैं। इससे देखने में बोतल सील की हुई नजर आती है। इस घालमेल को पहली नजर में नहीं पकड़ा जा सकता है। सील बोतलों को बर्फ के कार्टून में रखकर ठंडा किया जाता है। प्रति दिन 30-40 हजार रुपये का होता है कारोबार
पानी बेचने का यह खेल काफी बड़ा है। प्रत्येक दिन इसमें हजारों रुपये का वारा-न्यारा होता है। मिनरल वाटर कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि करीब 10000 से अधिक पानी बोतल रेलवे स्टेशन पर बिकता है। ऐसे में करीब 2-3 हजार नकली बोतलें खपा दी जाती हैं। ट्रेन में एक लीटर की नकली बोतलें 15 रुपये में बिकती हैं। ऐसे में प्रत्येक दिन यह खेल 30-40 हजार रुपये का हो जाता है। नकली पानी के इस खेल में जंक्शन पर एक गिरोह संचालित हो रहा है। गिरोह के सदस्यों के इशारे पर ही बोतल इकट्ठा करने, पैक करने तथा बेचने वालों को अलग-अलग कमीशन मिलता है। जबकि बड़ा हिस्सा इस धंधे को संरक्षण देने वालों के पास पहुंचता है। जंक्शन पर खुलेआम नकली बोतलों की पैकिग हो रही थी।
ऐसे तैयार होता है नकली मिनरल वाटर
- जंक्शन या आस-पास फेंके गए खाली मिनरल वाटर की बोतलों को स्टेशन पर घूमने वाले बच्चे जमा करते हैं।
- खाली बोतलों में से उन बोतलों को अलग किया जाता है, जिन पर कंपनी का लेबल बिलकुल फ्रेश नजर आता है।
- अच्छी बोतलों में स्टेशन पर ही नल से नॉर्मल पानी भरा जाता है। इसके बाद ढक्कन को इस तरह से बंद किया जाता है कि आप बिलकुल नहीं पकड़ सकते कि सील टूटा है और बोतल पहले यूज हो चुकी है।
- ढक्कन को बंद करने के बाद एक खास तरह के पतले टेप से बोतल के ढक्कन को सील किया जाता है। यह टेप कंपनी के सील की तरह लगता है। अब यह नकली मिनरल वाटर ठंडा करके बिकने को तैयार है। यात्री की गलती से कारोबारी बनाते हैं बेवकूफ
नकली मिनरल वाटर के धंधेबाजों को वास्तव में यात्री द्वारा ही सामग्री उपलब्ध कराया जाता है। यदि कुछ सावधानियां रखी जाए तो कारोबारी किसी को बेवकूफ नहीं बना सकेंगे।
- जब भी मिनरल वाटर यूज करें, बोतल को अच्छी तरह क्रश करके ही फेंके।
- हो सके तो उस पर लगे कंपनी के लेबल और ढक्कन को अलग-अलग फेंके।
- मिनरल वाटर रेलवे स्टेशन पर ऑथराइज्ड वेंडर्स शॉप से ही खरीदें।
- बोतल खरीदते वक्त उसे ध्यान से देखें, ध्यान से देखने पर आप आसानी से पकड़ लेंगे कि वो असली है या नकली। वर्जन
समस्तीपुर जंक्शन पर अवैध तरीके से पानी बोतल बेचने के मामले की जांच कराई जाएगी। साथ ही इसमें सम्मिलित लोगों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
बिरेंद्र कुमार,
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक,
पूर्व मध्य रेल, समस्तीपुर।