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सामाजिक सरोकार से जुड़ी मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

साहित्य सम्राट और महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती विभूतिपुर में जेपीएनएस उच्च माध्यमिक विद्यालय नरहन के सभागार में बुधवार को मनाई गई। अरविद कुमार दास की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 01:39 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 06:33 AM (IST)
सामाजिक सरोकार से जुड़ी मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक
सामाजिक सरोकार से जुड़ी मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

समस्तीपुर । साहित्य सम्राट और महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती विभूतिपुर में जेपीएनएस उच्च माध्यमिक विद्यालय नरहन के सभागार में बुधवार को मनाई गई। अरविद कुमार दास की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसे शिक्षक राजेश कुमार, अनमोल कुमार, लक्ष्मी नारायण सिंह, पशुपति नाथ, छात्रा अंजली कुमारी आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने अपने संबोधन में मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। कहा कि प्रेमचंद्र की प्रत्येक रचनाएं सामाजिक सरोकार से संबंधित है। जिसकी प्रासंगिकता आज ही बरकरार है। अपने जीवन काल में कठिनाइयों के आने के बाद भी वे अपना कदम पीछा नहीं किए। अंग्रेजों द्वारा उनकी रचनाओं पर रोक लगा दी गई। उन्हें नाम बदलकर आगे की रचनाओं को लिपिबद्ध करना पड़ा। उनकी रचनाएं स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ। आदर्श व्यक्तित्व को लेकर वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे। सभी ने प्रेमचंद के जीवन तथा उनकी रचनाओं से अपने जीवन में सीख लेकर उनके आदर्शो पर चलने का संकल्प लिया। मौके पर विद्यालय के शिक्षक पुरुषोत्तम कुमार, मोहम्मद मुख्तार, सुमन सौरभ, मोहम्मद मोक्तदीर आलम, विनीत कुमार, चंदन कुमार आर्य, दिनेश चंद्र, मंजू कुमारी, आरती आनंद, चंदना कुमारी, रश्मिवाला, जयंत कुमार, नरेश ठाकुर, अर्जुन प्रसाद सिंह, अशोक कुमार सिंह, राम प्रसाद पासवान मौजूद समेत काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। वारिसनगर,संस: प्रखंड क्षेत्र के गोही पंचायत स्थित संपातो देवी बालिका इंटर विद्यालय गोही में बुधवार को लेखक प्रेमचंद के जन्म दिवस पर प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रभारी प्रधानाध्यापक डा अशोक कुमार ने गोष्ठी मे उनके कहानियों का जिक्र करते हुए बताया कि प्रेमचंद लेखनी के सिपाही थे। जिन्होंने सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। हिदी शिक्षक राजशेखर ने बताया कि हिदी कथा लेखन के क्षेत्र में प्रेमचंद का स्थान चिरस्मरणीय है। उनकी कहानी किसी उम्र या वर्ग तक सीमित न रहकर सर्वथा प्रासंगिक है। जहां प्रेमचंद सर्वहारा लेखक थे वहीं सबसे बड़े दलित विचारक भी थे। गोदान एंव कफन इसकी परिणति है। मौके पर शिक्षक जगनारायण मंडल, माला कुमारी, त्रिवेणी प्रसाद ठाकुर, लिपिक सुशील कुमार, सुरेन्द्र कुमार सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं व छात्रा उपस्थित थी। बीआर एनके एस कॉलेज कल्याणपुर में इस संगोष्ठी की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. गणेश प्रसाद यादव ने की। वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि प्रेमचंद भारतीय किसान जीवन के सर्वश्रेष्ठ कथाकार थे। प्रो. बिपिन चंद्र मिश्रा, केके चौधरी, एसपी चौधरी, भोला झा, मोहम्मद खली कुजमा ने अपने विचार व्यक्त किए

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