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सर्वाधिक आबादी वाला घाट है जानलेवा, व्रतियों पर संकट

पटोरी प्रखंड के वाया नदी पर स्थित कई पुल ऐसे हैं जो छठ व्रत में लोगों के लिए सर्वाधिक खतरनाक है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 10:35 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 10:35 PM (IST)
सर्वाधिक आबादी वाला घाट है जानलेवा, व्रतियों पर संकट
सर्वाधिक आबादी वाला घाट है जानलेवा, व्रतियों पर संकट

समस्तीपुर । पटोरी प्रखंड के वाया नदी पर स्थित कई पुल ऐसे हैं जो छठ व्रत में लोगों के लिए सर्वाधिक खतरनाक है। इन पुलों ने अबतक कई लोगों की जाने ले ली है। पुल पर खड़ा रहना जोखिम भरा है। बावजूद छठ के दौरान इन पुलों पर हजारों लोग सवार रहते हैं। बीच का हिस्सा टूटा रहने तथा रे¨लग नहीं रहने के कारण इन पुलों पर कई बार यात्री नीचे आ गिरे हैं और उनकी जानें भी चली गई है। इसके बाद भी न तो पुल की मरम्मत की सुधि किसी प्रतिनिधि ने और न ही प्रशासनिक रहनुमाओं ने ली। इस वर्ष भी कहीं इन पुलों के कारण पर्व में मातम का माहौल पसर जाए, ऐसी संभावना प्रतीत होती है। यदि समय रहते इस पर चढ़ना वर्जित नहीं कराया गया या इसकी मरम्मत नहीं की गई तो यह भयंकर हादसे का सबब बन सकता है। कई ऐसे नदी घाट शामिल हैं जहां हर वक्त दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। कई तालाबों से मिट्टी की कटाई के कारण उसका किनारा काफी गहरा हो चुका है। ऐसे स्थलों पर व्रती एवं उनके परिजनों को काफी परेशानी होगी। सबसे खतरा उन क्षेत्रों में होगा जहां नदी पर जर्जर पुल अवस्थित हैं। गोरगामा घाट, लोदीपुर पुल घाट, शिउरा अमर¨सह स्थान बांस पुल घाट, ताराधमौन पुल घाट वर्तमान में काफी जर्जर है। गोरगामा घाट पुल तथा लोदीपुर सिनेमा चौक पुल पर निर्माण के तुरंत बाद से ही रे¨लग गायब हो गया। अमर¨सहस्थान स्थित बांस का चचरी शिउरा मेले में भारी भीड़ के कारण ध्वस्त हो गया था। ये सभी वैसे पुल हैं जहां छठ के दौरान हजारों की संख्या में लोग इस पर सवार होकर पूजा का नजारा देखते हैं। हर वर्ष प्रशासन द्वारा इन पुलों पर भीड़ को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किए जाने की बात कही जाती है, परन्तु छठ के दिन मात्र एक-दो चैकीदारों की प्रतिनियुक्ति कर अधिकारी अपनी जिम्मेवारी पूरी कर लेते है। कई पोखर ऐसे हैं जहां छठ के दौरान डूबने की घटना हो चुकी है। क्षेत्र के जोड़ीपोखर, जोड़पुरा पोखर, हवासपुर पोखर, मिल्किया चक पोखर, धमौन पोखर की गहराई काफी अधिक है और उनका किनारा काफी खतरनाक है।

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वहीं दूसरी ओर पटोरी और इसके आसपास के क्षेत्र के लोग वाया नदी में छठ करते हैं। परंतु यहां तो चारों ओर गंदगी फैली है। ऐसी स्थिति में छठ व्रतियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। वाया नदी में शहर का नाला और चारों ओर मल-मूत्र बह रहा है। बाजार क्षेत्र के जितने भी मकान वाया नदी के किनारे अवस्थित हैं, उनका नाला इसी नदी में बहता है और तो और लोगों के शौचालय की टंकी व पेशाब घर का नाला सीधे वाया नदी में बहाया जाता है। ऐसी स्थिति में नदी के पानी में पेशाब और शौच हमेशा देखा जा सकता है। ओडीएफ घोषित हो चुके पंचायतों में भी नदी या तालाब के किनारे खुले में शौच से गंदगी अत्यधिक फैल गई है। लोगों ने अपने स्तर से घाटों की सफाई शुरू कर दी है। प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद संबंधित क्षेत्र के मुखिया के द्वारा अबतक घाटों की सफाई शुरू नहीं कराई गई है। क्षेत्र के लोग पूरे बाजार का कूड़ा इसी नदी के किनारे फेंकते है। नर्सिंग होम के जितने भी बेकार और गंदे पदार्थ जमा होते हैं, उसे भी फेंका जाता है। ऐसी स्थिति में लोगों ने इस वर्ष मन बना लिया है कि वे वाया नदी में पूजा न कर घर पर ही छठ करेंगे। कुल मिलाकर पटोरी के हसनपुर सूरत, ताराधमौन, राधे घाट, सिनेमा चौक, गुलाब बूबना, लोदीपुर, शाहपुर उण्डी, तिवारी पुल घाट, बहादुरपुर पटोरी, इमनसराय आदि घाटों पर कचरों का अंबार है।


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