निबंधन कार्यालय में बिचौलियों का जाल, निबंधक रहते अनुपस्थित
समस्तीपुर। वारिसनगर दोपहर के 114 बजे हैं। अवर निबंधन कार्यालय किशनपुर में घुसते ही कार्यालय में जहां पहले अंगूठा लगाने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती थी वहां के कर्मी चुपचाप बैैठे हुए मिलते हैं।
समस्तीपुर। वारिसनगर, दोपहर के 1:14 बजे हैं। अवर निबंधन कार्यालय, किशनपुर में घुसते ही कार्यालय में जहां पहले अंगूठा लगाने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती थी, वहां के कर्मी चुपचाप बैैठे हुए मिलते हैं। पूछने पर पता चलता है कि कुछ देर पहले लिक फेल हो गया है। जिससे निबंधन कार्य अवरूद्ध है। वैसे अब तक 15 जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी थी। बगल के कमरे में तीन कुर्सी लगी हुई है। एक कुर्सी पर बैठा व्यक्ति कम्प्यूटर पर बैठकर लिक आने की प्रतीक्षा कर रहा है। जबकि कुछ लोग उसे घेरे खड़े हैं। दूसरे कुर्सी पर निम्न वर्गीय लिपिक अशोक कुमार चुपचाप बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि लगभग चार दिन पूर्व प्रधान लिपिक का वह प्रभार लिए हीं हैं। निबंधन पदाधिकारी के पद पर प्रियदर्शन यहां के अतिरिक्त प्रभार में है। वे रोसड़ा में कार्यरत हैं। इस वजह से दोनों जगहों पर आना-जाना लगा रहता है। उनकी अनुपस्थिति में रजिस्ट्री कराने आए व्यक्तियों से स्वयं पूछताछ करने की बातें कहते हैं। उनका कहना है कि इस वित्तीय वर्ष का राजस्व का निर्धारित लक्ष्य लगभग 20 करोड़ है। इसके विरूद्ध फरवरी माह तक 80 प्रतिशत की प्राप्ति कर ली गई है। फिर दूसरे मंजिल स्थित कम्प्यूटर कक्ष में जाने पर वहां के सभी कर्मियों के लिक फेल रहने के कारण नीचे टहलने के लिए जाने की बातें सामने आयी। लिक फेल रहने से होती है समस्या
मधुबन के रामबहादुर राय का कहना था कि लिक फेल रहने के कारण सारा दिन बैठकर वापस जाना पड़ रहा है। अब दूसरे दिन आएंगे। इस कारण खर्च में बढ़ोतरी हो जाएगी। इनकी बातों का समर्थन लदौरा के दिनेश दास, बांकीपुर के उपेन्द्र राय भी करते हैं। कहते हैं कि ऑनलाइन कर दिए जाने से लगातार परेशानी होती है। इस परेशानी से लोगों को निजात मिलनी चाहिए। बिचौलिए रहते हैं हावी
जटमलपुर की प्रियंका कुमारी, खड़सड़ के उपेन्द्र महतो, मुक्तापुर की रजनी कुमारी, गुदारघाट की मंजू देवी आदि बताते हैं कि बिना बिचौलिए के यहां जमीन रजिस्ट्री नहीं होता है। सभी कर्मी जमीन का मूल्य ज्यादा बताकर खर्च बढ़ाकर बताने लगते हैं। वहीं अगर इन बिचौलियों के मार्फत काम कराया जाता है तो जमीन का मूल्य कम कर सरकारी राजस्व को घटा देते हैं और बचे हुए राशि को स्वयं, कर्मचारी तथा पार्टी के बीच बांट लेते हैं। वहीं बाद में रजिस्ट्री पेपर लेने के लिए भी 160 रुपये नाजायज भुगतान करना पड़ता है। इन आरोप-प्रत्यारोप के बाद निबंधक के मोबाइल नंबर 9110036422 पर उनका पक्ष जानने के लिए फोन करने पर नेटवर्क से बाहर बताया गया। इन सभी परिस्थितियों में 4 बजे संध्या तक लिक नहीं आने पर रजिस्ट्री अवरूद्ध हीं रहता है। लोगों की मानें तो 1966 में स्थापित इस अवर निबंधन कार्यालय अब तक उपेक्षा की शिकार है। प्राय: यह कार्यालय प्रभारी रजिस्ट्रार के भरोसे ही चलता है।